नापासर टाइम्स। हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है. सृष्टि संचालक भगवान विष्णु की कई विशेष पूजा-व्रत में अनंत चतुर्दशी भी एक है. इसे अनंत चौदस भी कहा जाता है. मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी पर व्रत रखने, पूजा करने और अनंत सूत्र बांधने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दुखों का नाश होता है.
पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है, जोकि इस साल 28 सितंबर 2023 को पड़ रही है. अनंत चतुर्दशी के दिन ही 10 दिवसीय गणेशोत्सव का समापन होता है और गणेश विसर्जन किया जाता है. इस साल अनंत चतुर्दशी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभफलदायी रहेगा. जानते हैं अनंत चतुर्दशी पर बनने वाले शुभ योग, मुहूर्त और पूजा विधि.
*अनंत चतुर्दशी 2023 शुभ मुहूर्त*
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 27 सितंबर 2023, रात 10:18 से.
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि समाप्त: 28 सितंबर 2023, शाम 06:49 पर.
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त: 28 सितंबर 2023, सुबह 06:12 से शाम 06:49 तक
*अनंत चतुर्दशी 2023 शुभ संयोग*
28 सितंबर 2023 को अनंत चतुर्दशी की पूजा बेहद शुभ संयोग में होगी. अनंत चतुर्दशी के दिन गुरुवार रहेगा, जोकि भगवान विष्णु का प्रिय दिन माना जाता है. ऐसे में गुरुवार के दिन अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करना बहुत शुभ रहेगा. इसके अलावा इस दिन वृद्धि योग रहेगा और पूरे दिन रवि योग रहेगा. दोपहर 01:48 तक पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र रहेगा. ऐसे में इन अद्भुत संयोग और शुभ योग में किए पूजन से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होगी और सभी मनोकामनाएं भी पूरी होगी.
*अनंत चतुर्दशी पूजा विधि*
अनंत चतुर्दशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें और साफ कपड़े पहनें. इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ होता है. फिर पूजाघर की साफ-सफाई कर गंगाजल से शुद्ध करें. इसके बाद कलश स्थापित कर व्रत का संकल्प लें. एक चौकी में लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की शेषनाग वाली प्रतिमा स्थापित करें. भगवान का हल्दी और चंदन से तिलक करें और फल, फूल, मिष्ठान व नैवेद्य चढ़ाएं. साथ ही अनंत सूत्र भी चढ़ाएं. अनंत सूत्र की भी षोडषोपचार विधि से पूजा करें. इस दिन तिल, घी, मेवा और खीर से हवन करना चाहिए और केले वृक्ष की पूजा भी करें. साथ ही ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा भी जरूर दें. पूजा के बाद स्त्री अपने बाएं हाथ के बाजू और पुरुष दाएं हाथ की बाजू में अनंत सूत्र बांधें.