नापासर टाइम्स। अक्षय पुण्य फल प्रदान करने वाली आंवला नवमी आज यानी 21 नवंबर दिन मंगलवार को है. यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को होती है. आंवला नवमी को अक्षय नवमी और कूष्मांड नवमी भी कहते हैं. इस दिन आंवले के वृक्ष और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी से आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है और कार्तिक पूर्णिमा तक उसमें श्रीहरि का वास रहता है. यही वजह है कि आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदें गिरती हैं. इन बूंदों का लाभ लेने के लिए लोग इस दिन आंवला के पेड़ के नीचे समय व्यतीत करते हैं. आइए उन्नाव के ज्योतिषाचार्य पं. ऋषिकांत मिश्र शास्त्री से जानते हैं कि कब है आंवला नवमी? पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व?
*आंवला नवमी 2023 कब है ?*
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 21 नवंबर दिन मंगलवार को तड़के 03:16 बजे शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 22 नवंबर दिन बुधवार को सुबह 01:09 बजे होगा. उदयातिथि के आधार पर इस साल आंवला नवमी 21 नवंबर को मनाई जाएगी.
*आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा क्यों ?*
आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा का खास महत्व है. मान्यता है कि इस दिन दान आदि करने से पुण्य का फल इस जन्म में तो मिलता ही है साथ ही अगले जन्म में भी मिलता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदें टपकती हैं, इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने की परंपरा है. ऐसा करने से सेहत अच्छी रहती है. इसके साथ ही अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है.
*आंवला नवमी 2023 पूजा मुहूर्त*
21 नवंबर को आंवला नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:48 बजे से दोपहर 12:07 बजे तक है. इस दिन पूजा के लिए आपको 05 घंटे से अधिक का समय मिलेगा. इस दिन का शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त दिन में 11:46 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक है.
*आंवला नवमी पर रवि योग और पंचक*
इस बार आंवला नवमी वाले दिन रवि योग बन रहा है. रवि योग रात में 08:01 बजे से बन रहा है, जो अगले दिन सुबह 06:49 बजे तक रहेगा. वहीं, पूरे दिन पंचक लगा है.
*आंवला नवमी की पूजन विधि*
आंवला नवमी के दिन सुबह स्नान व ध्यान करके आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए. आंवले के पेड़ के पर दूध, जल, अक्षत, सिंदूर व चंदन अर्पित करें. इसके बाद आंवला के पेड़ पर मौली बांधकर भगवान विष्णु के मंत्र का जप करना चाहिए. इसके बाद धूप दीप से आरती उतारें और 11 बार हाथ जोड़कर परिक्रमा करें.