नापासर टाइम्स। FIR, लाइसेंस, आधार जैसे सैकड़ों काम दायरे में आएंगे,कुछ महीनों पहले इस कानून की मांग को लेकर जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में एक कार्यक्रम हुआ था, इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कानून के लिए आंदोलन कर रहीं अरुणा रॉय भी शामिल हुए थे।
आप कल्पना कीजिए कि यदि किसी पुलिस वाले ने आपकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं की तो उसकी नौकरी जा सकती है।
लाइसेंस नहीं बना तो आरटीओ के कर्मचारी की नौकरी जा सकती है।
ऐसी एक या दो नहीं, राजस्थान में लोगों से जुड़ी सैकड़ों सर्विसेज हैं, जो जल्द ही एक ऐसे कानून के दायरे में आ जाएंगी, जिसके तहत एक तय समय में काम नहीं करने पर अधिकारियों और कर्मचारियों को सजा मिलेगी।
दरअसल, राजस्थान सरकार जल्द ही लोक सेवाओं की गारंटी और जवाबदेही विधेयक लाने जा रही है। इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक आदेश जारी कर प्रशासनिक सुधार विभाग को विधेयक का मसौदा तैयार करने के आदेश भी दे दिए हैं। इस विधेयक से लोगों के काम न सिर्फ एक तय समय में होंगे, बल्कि काम न करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों की जवाबदेही तय होगी और उन्हें सजा भी मिलेगी।
इस कानून के लिए पिछले दो सालों से सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय और उनके सहयोगी निखिल डे आंदोलन कर रहे हैं। विधेयक के मसौदे पर प्रशासनिक सुधार विभाग ने काम शुरू कर दिया है और लोगों से सुझाव भी मांगे गए हैं।
5 पॉइंट में जानिए, विधेयक में क्या खास होगा?
1.सरकारी विभागों को हर काम के किसी भी व्यक्ति द्वारा पूछने पर यह बताना होगा कि उसका काम कौन सा अधिकारी-कर्मचारी करेगा।
2.प्रत्येक काम को अधिकतम 30 दिनों में करना ही होगा।
3. काम को करने या ना करने के लिए एक जिम्मेदार – जवाबदेह सरकारी कर्मचारी या अधिकारी तय होगा।
4.व कम होने के बावजूद काम को तय समय सीमा में ना करने पर कर्मचारी/अधिकारी पर आर्थिक दंड लगाया जाएगा, उसकी सीआर खराब और कानूनी कार्रवाई भी होगी।
5.लगातार तीन बार जवाबदेही का उल्लंघन करने वाले कर्मचारी/ अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा।
ये काम आएंगे इस कानून के दायरे में
■ पुलिस में FIR दर्ज करवाना
■ ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना
■ आधार कार्ड में संशोधन करवाना
■ राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनवाना
■ सरकारी रिकॉर्ड की कॉपी-नकल आदि हासिल करना
■ जमीन का अधिकृत पट्टा प्राप्त करने में
■ जमीन का नामांतरण खोलने में
■ छात्रवृत्तियों के लिए आवेदन करने के बाद तय समय में भुगतान प्राप्त करना
■ राशन सामग्री तय समय पर मिलने में
■ विभिन्न तरह की सामाजिक पेंशन,वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन आदि को शुरू करवाना
■ सरकारी योजनाओं के तहत बीमा होने पर लाभ मिलना
■ सरकारी योजनाओं में आवेदन करने के बाद तय समय सीमा में प्लॉट, मकान, फ्लैट आदि का आवंटन पत्र प्राप्त करना ■ विभिन्न सरकारी योजनाओं, सहकारी संस्थाओं, सरकारी उपक्रमों में आवेदन करने पर तय समय सीमा के भीतर ऋण प्राप्त करना ■ प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत जरूरतमंदों को मिलने वाले मकान के आवंटन और उसके तहत मिलने वाली किश्तों के भुगतान का निर्धारित समय पर होना
■ फ्लैगशिप योजना के तहत सरकार को बताना होगा कि इस योजना का लाभ कब से शुरू होगा
कितने दिन में करना होगा काम ?
सूत्रों के मुताबिक हर काम के लिए अलग-अलग समय-सीमा तय होगी। किसी भी काम के लिए अधिकतम 30 दिन दिए जा सकते हैं। इस विधेयक में कितनी सर्विसेज शामिल की जाएंगी, यह मसौदा तैयार होने के बाद ही सामने आएगा। इसके साथ ही कानून लागू होने के बाद भी समय-समय पर लोगों से जुड़ी सेवाएं जोड़ी जा सकेंगी।
नौकरशाही में हो रहा विरोध सूत्रों का कहना है कि राज्य की नौकरशाही में इस कानून को लेकर उत्साह होना तो दूर बल्कि अंदरखाने विरोध हो रहा है। सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों का मानना है कि इस कानून से काम करने की क्षमता प्रभावित होगी और सरकारी नौकरी करना बहुत कठिन हो जाएगा।
क्यों पड़ी इस कानून की जरूरत?
अभी तक राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में अगर
किसी आम आदमी का कोई काम नहीं होता है या उसे चक्कर कटवाए जाते हैं, तो किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ सामान्यत: कोई कड़ी कार्रवाई नहीं होती है। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों में काम करने या न करने के प्रति कोई लगाव या भय जैसी कोई भावना नहीं होती और इससे लोगों के काम अटक जाते हैं। ऐसे में यह जरूरत लंबे अरसे से महसूस की जा रही है कि जवाबदेही कानून बनाया जाए ताकि कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो और जानबूझकर काम न करने पर कर्मचारी को नौकरी गंवानी पड़े।
चुनावी वर्ष में आ सकती है मुश्किल प्रदेश में अगले साल नवंबर-दिसंबर तक चुनाव होना तय है, जिनकी आचार संहिता अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में लग सकती है। ऐसे में कानून पर आम लोगों से राय लेने, फिर उनका परीक्षण करने, विधि विभाग की मंजूरी लेने, नियम बनाने, कैबिनेट में ले जाने और उसके बाद विधानसभा में विधेयक पेश करने और लागू करवाने में बहुत समय लगेगा। ऐसे में अगर सरकार ने अपने प्रयास तेज नहीं किए तो यह कानून या तो लागू ही नहीं हो।
पाएगा या फिर लागू हुआ भी तो सशक्त कानून नहीं बन सकेगा। 9 नवंबर तक दे सकते हैं सुझाव प्रशासनिक सुधार विभाग ने विधेयक के मसौदे को लेकर लोगों से सुझाव मांगे हैं। इसके लिए विभाग ने एकसूचना अपनी वेबसाइट पर भी जारी कर दी है। विभागके शासन सचिव आलोक गुप्ता ने भास्कर को बताया कि9 नवंबर आखिरी तारीख तय की है। कानून के लिए आंदोलन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने भास्कर को बताया कि इस कानून को बनाने के लिए दो साल पहले मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था, अब बहुत देरी हो चुकी । सरकार को अपने प्रयासों को तेज करने चाहिए, ताकि कानून जल्द लागू हो सके।