नापासर टाइम्स। मंगलवार, 27 जून को आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि की अंतिम तिथि भड़ली नवमी है। इस तिथि का महत्व काफी अधिक है, क्योंकि इसे अबूझ मुहूर्त माना जाता है। अबूझ मुहूर्त यानी ऐसा दिन जब बिना शुभ मुहूर्त देखे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। जिन लोगों को विवाह के लिए मुहूर्त नहीं मिल रहे हैं, वे इस दिन विवाह कर सकते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि पर देवी दुर्गा की विशेष पूजा करनी चाहिए। देवी दुर्गा को लाल चुनरी, सुहाग का सामान चढ़ाएं। हार-फूल से श्रृंगार करें। मौसमी फल और मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में देवी मंत्र (ऊँ दुं दुर्गायै नम:) का जप जरूर करें। मंत्र जप कम से कम 108 बार करें। जप के लिए किसी शांत और पवित्र स्थान का चयन करें। मंत्र जप रुद्राक्ष की माला की मदद से करना चाहिए।
*देवी दुर्गा के साथ ही हनुमान जी की पूजा का शुभ योग*
त्रेता युग में श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी का जन्म मंगलवार को हुआ था। इसी वजह से आज भी हर मंगलवार हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। 27 जून को देवी पूजा के साथ ही हनुमान जी की भी पूजा जरूर करें। पूजा में हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें या श्रीराम नाम का जप करें। हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। मौसमी फल और मिठाई का भोग लगाएं।
*मंगल ग्रह के लिए करें मसूर की दाल का दान*
ज्योतिष में मंगल देव को मंगलवार का कारक ग्रह माना गया है। मंगल की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। मंगलवार को शिवलिंग का अभिषेक करें। भगवान को लाल फूल, लाल गुलाल, लाल मसूर की दाल चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं आरती करें। ऊँ अं अंगारकाय नमः मंत्र का जप करें। मंगल के लिए मसूर की दाल का दान जरूरतमंद लोगों को करें।
27 जून को पूजा-पाठ के साथ ही ध्यान और दान-पुण्य जरूर करें। ध्यान करने के लिए किसी शांत स्थान पर आसन बिछाकर बैठ जाएं। इसके बाद आंखें बंद करें और विचारों का प्रवाह रोकते हुए अपना दोनों आंखों के बीच आज्ञा चक्र पर लगाएं। ध्यान करने के बाद जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, छाता और जूते-चप्पल का दान करें।
*बिना मुहूर्त देखे किया जा सकते हैं विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे शुभ काम, इसके दो दिन बाद देवशयनी एकादशी*
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 27 जून (मंगलवार) को खत्म हो जाएगी। आषाढ़ शुक्ल नवमी को भड़ली नवमी कहा जाता है। इस तिथि को अबुझ मुहूर्त माना जाता है, इस कारण इस दिन विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, भूमि पूजन जैसे शुभ काम मुहूर्त देखे बिना ही किए जा सकते हैं। दो दिन बाद यानी 29 जून को देवशयनी एकादशी रहेगी। इस दिन से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। इस साल सावन महीने में अधिकमास रहेगा, इस कारण चातुर्मास चार नहीं पांच माह का रहेगा। चातुर्मास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। इन दिनों भक्ति करनी चाहिए। अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। विष्णु जी, शिव जी, श्रीकृष्ण आदि भगवानों के ग्रंथों का पाठ करें।