napasartimes.गुरुवार, 22 जून को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। इसे विनायकी चतुर्थी कहते हैं और इस दिन गणेश जी के लिए व्रत-उपवास किया जाता है। गुरुवार को ये तिथि होने से इस दिन गणेश जी के साथ ही भगवान विष्णु और गुरु ग्रह की भी पूजा जरूर करनी चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चतुर्थी व्रत करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और मन शांत रहता है। चतुर्थी व्रत करने वाले लोग दिनभर निराहार रहते हैं और भगवान गणेश के मंत्रों का जप करते हैं और पूजा-पाठ, मंत्र जप करते हैं।
*ये है चतुर्थी व्रत की सरल विधि*
चतुर्थी तिथि सूर्योदय से पहल जागना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। गणेश जी का जल, दूध, पंचामृत और फिर जल से अभिषेक करें। चंदन से तिलक लगाएं। सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, प्रसाद चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं।
श्री गणेशाय नम: मंत्र का जप करें। लड्डू और मोदक का भोग लगाएं। आरती करें। इसके बाद गणेश जी के सामने चतुर्थी व्रत करने का संकल्प लें। पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें। व्रत में फलाहार कर सकते हैं। पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजें भी ले सकते हैं।
*इन मंत्रों का करना चाहिए जप*
गणेश जी के 12 नाम वाले मंत्रों का जप करेंगे तो पूजा जल्दी सफल हो सकती है। ये 12 मंत्र हैं- ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ कपिलाय नम:, ऊँ गजकर्णाय नम:, ऊँ लंबोदराय नम:, ऊँ विकटाय नम:, ऊँ विघ्ननाशाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ धूम्रकेतवे नम:, ऊँ गणाध्यक्षाय नम:, ऊँ भालचंद्राय नम:, ऊँ गजाननाय नम:।
*गुरुवार और चतुर्थी के योग में करें विष्णु जी का अभिषेक*
गणेश पूजा के बाद भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करें। इसके लिए केसर मिश्रित दूध और दक्षिणावर्ती शंख का उपयोग करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। गुरु ग्रह के लिए गुरुवार को शिवलिंग पर बेसन के लड्डू अर्पित करें। किसी गरीब को चने की दाल का दान करें। केले के पौधे की पूजा करें और केले का दान करें। गुरु ग्रह की शिवलिंग रूप में की जाती है, इसलिए शिव पूजा जरूर करें।