नापासर टाइम्स। हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. हर महीने दो बार एकादशी आती है- पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और कई प्रकार के पापों का नाश होता है. इस बार योगिनी एकादशी का व्रत 14 जून यानी आज रखा जा रहा है. इस दिन श्री हरि, भगवान शिव के ध्यान, भजन और कीर्तन से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है. योगिनी एकादशी के दिन उपवास रखने और साधना करने से समस्याओं का अंत हो जाता है.
*योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त*
योगिनी एकादशी का व्रत बुधवार, 14 जून यानी आज रखा जा रहा है. एकादशी तिथि प्रारंभ 13 जून, मंगलवार यानी कल सुबह 09 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो चुकी है और एकादशी तिथि का समापन 14 जून, बुधवार यानी आज सुबह 08 बजकर 48 मिनट पर होगा. योगिनी एकादशी का पारण 15 जून को सुबह 05 बजकर 32 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा.
*योगिनी एकादशी पूजन विधि*
योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. भगवान को फल-फूल अर्पित करें और सच्ची श्रद्धा के साथ उनकी आरती करें. भगवान विष्णु की अनुकंपा से जहां आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होगा. वहीं माता लक्ष्मी की कृपा से धन के भंडार भरेंगे. आर्थिक मोर्चे पर संपन्नता बढ़ेगी.
*योगिनी एकादशी व्रत का नियम*
योगिनी एकादशी पर स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. फिर पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें. श्रीहरि को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. श्री हरि और मां लक्ष्मी के मन्त्रों का जाप करें. किसी निर्धन व्यक्ति को जल, अनाज, कपड़े, जूते और छाते का दान करें. इस दिन केवल जल और फल ग्रहण करके ही उपवास रखें. सुबह और शाम दो वेला पूजन किया जाता है.
*मानसिक समस्याओं से मुक्ति का उपाय*
योगिनी एकादशी का उपवास रखें. पूरे दिन और रात केवल जलीय आहार ग्रहण करें. जितना संभव हो शिव जी की उपासना करें. कम से कम बोलें और गुस्सा न करें.
*शीघ्र नौकरी पाने के उपाय*
इस दिन लाल रंग का एक आसन लें, इसके चारों कोनों के पास एकमुखी दीपक जलाएं. आसन पर बैठकर संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करें. हनुमान जी से नौकरी पाने की प्रार्थना करें.
*योगिनी एकादशी व्रत की कथा*
प्राचीन काल में अलकापुरी नगर में राजा कुबेर के यहां हेम नामक एक माली रहता था. उसका कार्य रोजाना भगवान शंकर के पूजन के लिए मानसरोवर से फूल लाना था. एक दिन उसे अपनी पत्नी के साथ स्वछन्द विहार करने के लिए कारण फूल लाने में बहुत देर हो गई. वह दरबार में विलंब से पहुंचा. इस बात से क्रोधित होकर कुबेर ने उसे कोढ़ी होने का श्राप दे दिया. श्राप के प्रभाव से हेम माली इधर-उधर भटकता रहा और एक दिन दैवयोग से मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा. ऋषि ने अपने योग बल से उसके दुखी होने का कारण जान लिया. तब उन्होंने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा. व्रत के प्रभाव से हेम माली का कोढ़ समाप्त हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.