नापासर टाइम्स। गोचर, ओरण संरक्षक संघ के द्वारा राजस्थान की गोचर, ओरण आदि भूमि के लिए कार्य करने वालों का संयुक्त सम्मेलन का आयोजन आज दिनांक 11 जुन 2023 वार रविवार को माखन भोग पुगल फाटा बीकानेर में किया गया। सम्पूर्ण राजस्थान में गोचर, ओरण,आगोर, जोहड़ पायतन, मंदिर माफी, डोली की भूमि, देवबणी, शामलात भूमि आदि के संरक्षण, संवर्धन क्षेत्र में कार्य करने वाले संस्थाओं, व्यक्तियों, गो सेवी संगठन की एक संयुक्त सम्मेलन का आयोजन पूर्व सिंचाई मंत्री देवी सिंह भाटी के नेतृत्व में व संतों के पावन सानिध्य में किया गया।
आज के सम्मेलन में परम पूज्य विमर्शीनंद गिरि जी महाराज, मुकाम पीठाधीश्वर रामानंद जी महाराज, पंडित रमेश्वरानंद जी महाराज, शंकर दास जी, शंभू गिरी जी, सुखदेव जी महाराज का पावन सानिध्य मिला।
इस सम्मेलन में गोचर, ओरण उनके विकास, कानूनी जानकारी, कानूनी सहायता, गोचर संरक्षण के उपाय गोचर ओरण आदि के सीमांकन, सरकारी नियमों में बदलाव, आदि पर गंभीरता से चर्चा की गई।
नापासर से गोसेवा के लिए हर समय तैयार रहने वाली एनजी ग्रुप की हरिरामपुरा मित्र मंडली के तत्वाधान में गोभक्त शामिल हुए,भाटी को नापासर गोचर भूमि में फैले कचरे का निस्तारण करवाने के सबन्ध में ज्ञापन भी दिया,पंडित राधेश्याम सारस्वत,मनोज ओझा,नवरत्न आसोपा सहित गोभक्त उपस्थित रहे। गोचर में फैले कचरे से गायों की हो रही अकाल मृत्यु के बारे में अवगत करवाया।
सम्मेलन में एडवोकेट मोती सिंह राजपुरोहित, एडवोकेट मानवेंद्र सिंह भादरिया, एडवोकेट कैप्टन राम सिंह चौहान, एडवोकेट महावीर सिंह राठौड़ देवली, आदि ने कानून की जानकारियां प्रदान की।
बैठक में गाय औरण, गोचर के विकास पर जैविक कृषक श्री कान सिंह जी निर्बाण, लोकमित्र जी, पूनम जी राजपुरोहित, भरत जी राजपुरोहित ने, अपने विचार रखे।
इस सम्मेलन में गोचर, ओरण समिति जैसलमेर पाबूजी रण समिति कोलू के जुगत सिंह जी कर्णावत, चतर सिंह जी रामगढ़, आई वीर सिंह जी पातावत, सुमेर सिंह जी सांवता, गोपाल सिंह जी जालौड, कुंदन सिंह जी मोकलसर आदि ने गोचर, ओरण उनकी यात्रा को, गोचर ओरण की आरती आदि के विषय में विस्तार से बताया।
आज के इस सम्मेलन के मुख्य वक्ता पदम लक्ष्मण सिंह जी लापोडिया ने गोधन संरक्षण गोचर में जल संरक्षण, गोचर को उपजाऊ बनाने, गोचर का विस्तार करने, उसे गांव और जनता से जोड़ने के विषय में जानकारी उपलब्ध करवाई, उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति एक मन से गोचर ओरण को बचाने के लिए लगे, तो गांव भी उसका सहयोग करता है, उन्होंने अपने गांव के उपयोग व प्रयोग के बारे में बताया।