आज 31 मई, 2023 बुधवार के दिन निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन निर्जला एकादशी सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग में मनाई जायेगी. जानते हैं निर्जला एकादशी के दिन तुलसी पूजन का महत्व, साथ ही इस दिन पड़ने वाले योग और निर्जला व्रत के कथा के बारे में.
*सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग*
ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया कि निर्जला एकादशी के दिन सवार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहे हैं. 31 मई को सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. जो सुबह 06:00 बजे तक है. रवि योग भी सुबह 05:24 बजे से सुबह 06:00 बजे तक ही है.
*निर्जला एकादशी पर तुलसी पूजन*
तुलसी की पूजा हिंदू धर्म में काफी समय पहले से चली आ रही है.
हिंदू घरों में तुलसी के पौधे की खास पूजा की जाती है.
सभी एकादशी के दिन तुलसी की खास पूजा की जाती है.
वहीं यदि बात निर्जला एकादशी की करें तो इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है इसलिए इस दिन तुलसी पूजन का काफी महत्व होता है.
तुलसी को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां देवी-देवताओं का वास होता है.
*भीम ने रखा था निर्जला एकादशी व्रत*
कथा के अनुसार भीमसेन को अधिक भूख लगती थी.जिसके कारण वे कभी व्रत नहीं रखते थे. लेकिन वे भी चाहते थे कि मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो, उनको पुण्य प्राप्त हों. वे चाहते थे कि कोई एक ऐसा व्रत हो, जिसे करने से वे पाप मुक्त हो जाएं और मोक्ष भी मिल जाए. तब उनको निर्जला एकादशी व्रत रखने को कहा गया. ऋषि-मुनियों के सुझाव पर उन्होंने निर्जला एकादशी का व्रत रखा. व्रत के पुण्य प्रभाव और विष्णु कृपा से वे पाप मुक्त हो गए और अंत में मोक्ष को प्राप्त हुए.
*निर्जला एकादशी के दिन जरुर करें ये काम*
निर्जला एकादशी के दिन दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.
निर्जला एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्र का पाठ करने से कुंडली के सभी दोष समाप्त होते हैं.
निर्जला एकादशी के दिन भोग में भगवान विष्णु को पीली वस्तुओं का प्रयोग करने से धन की बरसात होती है.
निर्जला एकादशी के दिन गीता का पाठ भगवान विष्णु की मूर्ति के समाने बठकर करने से पित्रों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
भगवान विष्णु की पूजा तुलसी के बिना पूरी नहीं होती है. इसलिए निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को भोग में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें.
*निर्जला एकादशी पर ना करें ये गलती*
माता तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है.शास्त्रों के अनुसार एकादशी पर तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए.
इससे पाप के भागी बनते हैं क्योंकि इस दिन तुलसी भी एकादशी का निर्जल व्रत करती हैं.
विष्णु जी को पूजा में अक्षत अर्पित न करें.
श्रीहरि की उपासना में चावल वर्जित हैं.
*निर्जला एकादशी मुहूर्त*
एकादशी तिथि प्रारम्भ – 30 मई को दोपहर 1:32 मिनट पर शुरू
एकादशी तिथि समाप्त – 31 मई को दोपहर 1:36 मिनट पर
निर्जला एकादशी का पारण- 01 जून को सुबह 05:24 मिनट से लेकर सुबह 08:10 मिनट तक रहेगा.
*निर्जला एकादशी पूजा विधि*
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
गवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें.
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें.
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.
भगवान की आरती करें. भगवान को भोग लगाएं.
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.
भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें,बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं.
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें.
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें.
*निर्जला व्रत विधि*
सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म के बाद स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.
पूरे दिन भगवान स्मरण-ध्यान व जाप करें.
पूरे दिन और एक रात व्रत रखने के बाद अगली सुबह सूर्योदय के बाद पूजा करके गरीबों, ब्रह्मणों को दान या भोजन कराना चाहिए.
इसके बाद खुद भी भगवान का भोग लगाकर प्रसाद लेना चाहिए.