आज रविवार है, छुट्टी का दिन। आप बाहर घूमने जाने का प्लान बना रहे होंगे, लेकिन सलाह है कि आप घर में ही रहें। आज और कल, जब तक बहुत जरूरी न हो बाहर जाने से बचें।
इसकी वजह है 80-100 किमी की रफ्तार से आने वाली तूफानी हवाएं और बरसात
मौसम विभाग के अलर्ट से डरना जरूरी है, क्योंकि इसी तरह की तूफानी हवाएं 25 मई की रात चली थीं, जिन्होंने कई घरों के चिराग बुझा दिए । 25 मई को 96 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अंधड़ चला व बिजली गिरी । बिगड़े मौसम ने 6 बच्चों सहित 17 लोगों की जान ले ली।
दीवार, पेड़ गिरने व आकाशीय बिजली के कारण टोंक में 12, बीकानेर में 2 और जयपुर, धौलपुर व दौसा में एक-एक मौत हो गई थी । करोड़ों का नुकसान हो गया था।
28 और 29 मई को बिगड़ा मौसम ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि 25 मई को तूफानी बारिश का असर सिर्फ ….. जिले में था, वहीं मौसम विभाग का कहना है कि रविवार-सोमवार को सिस्टम में आया बदलाव राजस्थान के सभी जिलों को प्रभावित कर सकता है।
ताऊ-तूफान से भी खतरनाक
25 मई को राजस्थान में 96 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चली हवाओं ने तबाही मचाई थी, जबकि 2021 में जब ताऊ-ते तूफान राजस्थान आया था, उस समय हवाओं की रफ्तार 75 किमी प्रति घंटा था। रविवार और सोमवार को 80-100 किमी की रफ्तार से तूफानी हवाओं और बारिश की आशंका जताई जा रही है। इस दौरान कई स्थानों पर बिजली गिर सकती है।
क्या होने वाला है 28 और 29 मई को जो डरा रहा है।
मौसम विभाग के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि 28 और 29 मई को बन रहे सिस्टम का प्रभाव लगभग पूरे राजस्थान में देखने को मिलेगा। सबसे ज्यादा असर जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर और कोटा रीजन में देखने को मिलेगा।
सिस्टम में आए बदलाव के कारण हवाओं की रफ्तार बढ़ जाएगी। कई इलाकों में बारिश के साथ ओले गिर सकते हैं। आकाशीय बिजली गिरने का भी डर है।
ऐसे में लोगों को विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है। बदले मौसम के कारण दिन के तापमान में 10 दिन और रात के तापमान में 5 डिग्री की गिरावट आ सकती है।
मई-जून में मौसम बिगड़ने की वजह ?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि राजस्थान को मई और जून में चलने वाले अंधड़ काफी नुकसान पहुंचाते हैं। यहां मानसून से पहले कम दवाब के क्षेत्र बनते हैं।
पाकिस्तान के उत्तरी हिस्से में एक सर्कुलेशन सिस्टम बनता है और बंगाल की खाड़ी व अरब सागर से आने वाली नमी आग में घी का काम करती है।
राधेश्याम शर्मा के अनुसार ऐसे सिस्टम लोकल फिनोमिना (स्थानीय परिस्थिति) के कारण बनते हैं। इस कारण इनका असर सीमित क्षेत्रों में देखा जाता है। साथ ही, ये अल्पकालीन होते हैं, ये 1 से 3 घंटों के बीच प्रभाव दिखाते हैं और ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे तक
सबसे खतरनाक अंधड़, एक दिन में गई थी 41 जानें
राजस्थान में अंधड़ से हर साल दर्जनों मौतें होती हैं। राजस्थान में वर्ष 2018 में अंधड़ के दौरान हुए हादसों में 59 लोगों की मौत हो गई थी। उस साल 2 मई का सबसे खतरनाक अंधड़ आया था।
अंधड़ और तूफान में आखिर क्या है अंतर
तूफान: राजस्थान में तूफान से अधिक खतरा नहीं रहता है, क्योंकि ये समुद्री किनारों से दूर है। तूफान अक्सर समुद्री किनारे वाले क्षेत्रों को अधिक तबाही मचाते हैं। जमीन पर आने के बाद इनकी तीव्रता कम होती चली जाती है। तूफान में 200 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक रफ्तार की हवाएं चलती हैं, जो एंटी क्लोक वाइज रोटेट करती हैं। तूफान का असर 3-5 दिन तक रहता है।
अंधड़ : राजस्थान को सबसे अधिक प्रभावित अंधड़ करते हैं। आंधड़ में स्थानीय परिस्थितियों (लोकर वैदर) के चलते इंटेंस क्लाउड बनते हैं। अंधड़ में हवाएं सीधी चलती है जो 40 या 50 से होते हुए 80 या 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक हो जाती हैं। लगातार बिजली गिरती है, इसका असर विभिन्न क्षेत्रों में 14 या 15 किलोमीटर के दायरे में अल्प अवधि (1 से 3 घंटे के बीच) देखने को मिलता है।
मई में इससे पहले 2015 में अंधड़ ने 1 दिन में 12 और 2018 में एक दिन में 41 लोगों की जान ले ली थी। दोनों ही बार 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। करोड़ों का नुकसान हुआ था। उस समय 85 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चली थीं। उसके बाद दो दिन पहले 25 मई को अब तक का सबसे तेज अंधड़ आया था जिसने 17 लोगों की जानें ले ली। इस दिन 96 किमी. प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चली थी।
इन सालों में अन्य राज्यों में भी मौतें हुई थीं और आंकड़ों ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार तक को चौंका दिया था। पहले अंधड़ से होने वाली मौतों को आपदा में शामिल ही नहीं किया जाता था। 2018 के बाद अंधड़ से मरने वालों को सहायता राशि दी जाने लगी।