नापासर टाइम्स। वैशाख माह की पूर्णिमा 05 मई 2023, शुक्रवार को है. वैशाख पूर्णिमा तिथि 04 मई को रात 11.34 मिनट से 05 मई को रात 11.03 तक रहेगी. इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने बुद्ध अवतार लिया. बौद्ध धर्म वाले इस दिन शांति और अहिंसा के प्रतीक भगवान गौतम बुद्ध की उपासना करते हैं, उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रण लेते हैं.
पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है इसलिए इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से कई लाभ प्राप्त होते हैं. इस साल वैशाख पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लग रहा है लेकिन भारत में इसका प्रभाव नहीं होता इसलिए चंद्रमा की पूजा में कोई अवरोध नहीं आएगा. आइए जानते हैं वैशाख पूर्णिमा पर चंद्रोदय समय, पूजा विधि, मंत्र और इस दिन चंद्रमा की पूजा का महत्व.
*वैशाख पूर्णिमा 2023 मुहूर्त*
स्नान मुहूर्त – सुबह 04.12 – सुबह 04.55
सत्यनारायण पूजा मुहूर्त – सुबह 07:18 – सुबह 08:58
चंद्रोदय को अर्घ्य देने का समय – शाम 06.45
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त – 05 मई 2023, रात 11:56 – 06 मई 2023, प्रात: 12:39
कूर्म जयंती पूजा मुहूर्त – शाम 04.18 – शाम 0.59
*पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा के लाभ*
धार्मिक मान्यता के अनुसार पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है. ग्रंथों में बताया गया है कि पूर्णिमा पर चंद्रमा को दिया गया अर्घ्य पितरों तक पहुंचता है, जिससे पितृ संतुष्ट होते हैं. चंद्रमा की पूजा से मन को नियंत्रण में करने की शक्ति प्राप्त होती है जिससे काम को बेहतर ढंग से कर पाता है और दूसरों की साइकोलॉजी समझने में आसानी होती है.
*वैशाख पूर्णिमा उपाय*
मान्यता है कि पूर्णिमा की रात औषधियों को चंद्रमा की रोशनी में रखकर अगले दिन खाना चाहिए, इससे व्यक्ति नीरोगी रहता है. बीमारियों में राहत मिलने लगती है.
मां लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा में 11 पीली कौड़ियां, गोमती चक्र रखें। पूजा के बाद ये चीजें तिजोरी में रखें
शिवलिंग के पास दीपक जलाएं और श्रीराम नाम का जाप 108 बार करें.
अपने घर के मंदिर में श्रीयंत्र, कुबेर यंत्र, एकाक्षी नारियल, दक्षिणवर्ती शंख की पूजा करें.
हनुमानजी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें.
घर में सुख-शांति बनाए रखने के लिए सत्यनारायण भगवान की कथा करें.
*वैशाख पूर्णिमा पूजा विधि*
वैशाख पूर्णिमा पर पवित्र नदी के जल से स्नान करें, घर में श्रीहरि विष्णु की पूजा कर सत्यनारायण की कथा करें, पीपल को जल चढ़ाएं और 7 बार परिक्रमा करें. इस दिन रात में चंद्र उदय के बाद चांदी के लोटे से चंद्र को दूध और जल में मिश्री-चावल मिलाकर अर्घ्य अर्पित करें. इस दौराना ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें. मध्यरात्रि में देवी महालक्ष्मी को हल्दी की गांठ, इत्र, गुलाब के फूल चढ़ाएं। माता लक्ष्मी के सामने केसर का तिलक खुद के मस्तक पर लगाएं और देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें.