नापासर टाइम्स। राजस्थान में आज डेढ़ दशक में पहली बार ऐसा हुआ है, जब प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों को डॉक्टर्स नहीं देखेंगे। राइट टू हेल्थ (RTH) बिल के विरोध में सड़कों पर उतरे प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक और उनके डॉक्टर्स के साथ अब सरकारी डॉक्टर्स भी आ गए हैं।
पूरे राज्य में आज 15 हजार से ज्यादा सरकारी डॉक्टर्स (मेडिकल ऑफिसर, टीचर्स फेकल्टी और सुपर स्पेशलिस्ट) ने आज सरकारी हॉस्पिटल की ओपीडी सर्विस का बहिष्कार किया है। वहीं, सरकार ने भी आंदोलन से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है। मेडिकल कॉलेज में व्यवस्थाएं सही रखने के लिए जूनियर रेजिडेंट एक हजार नए पद बनाए गए हैं। सभी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को आज से इंटरव्यू लेने के निर्देश भी दे दिए गए हैं।
सरकारी डॉक्टर्स की यूनियन अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ (अरिसदा) और सीनियर डॉक्टर्स और टीचर फेकल्टी की यूनियन राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन ने आज एक दिन की ओपीडी सर्विस के बहिष्कार की चेतावनी दी थी। हालांकि बड़े हॉस्पिटल में इमरजेंसी और आईसीयू सर्विस को बंद नहीं किया है।
इन डॉक्टर्स के अलावा यहां की रीड की हड्डी कहे जाने वाले रेजिडेंट्स डॉक्टर्स तो पिछले 8 दिन (21 मार्च से ) हड़ताल पर चल रहे हैं। रेजिडेंट्स डॉक्टर्स ही है, जिनके कारण एसएमएस समेत दूसरे बड़े सरकारी हॉस्पिटल (जो मेडिकल कॉलेज से अटैच है) में ओपीडी और आईपीडी व्यवस्थाएं चलती है।
रेजिडेंट्स का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की चेतावनी
सरकारी हॉस्पिटलों में आंदोलन कर रहे रेजिडेंट्स डॉक्टरों पर सरकार एक्शन लेने की तैयारी में है। मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने कल एक ऑर्डर जारी करके सभी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को निर्देश दिए है कि जो रेजिडेंट डॉक्टर आंदोलन के दौरान मरीजों के परिजन से दुर्व्यवहार कर रहे हों, राजकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हों और अपने कर्त्तव्य के प्रति लापरवाही बरत रहे हों उनके रजिस्ट्रेशन रद्द करने की कार्रवाई करें।
डॉक्टर्स की उपस्थिति भेजने के निर्देश
सभी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाने वाले मेडिकल टीचर, उनसे अटैच हॉस्पिटलों में लगे डॉक्टर्स, रेजिडेंट्स, पेरामेडिकल स्टाफ और नर्सिंग स्टाफ की अटेंडेंस (उपस्थिति) सुबह 9:30 बजे तक भिजवाने के लिए कहा है।
इन सभी डॉक्टर्स और स्टाफ की छुट्टी भी प्रिंसिपल या हॉस्पिटल सुप्रिटेंडेंट्स ही अप्रूव्ड करेंगे। ये छुट्टियां केवल विशेष परिस्थितियों के लिए मिलेंगी। इसकी सूचना भी मुख्यालय (मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट) भिजवानी होगी।