चैत्र नवरात्रि में बढ़ेगी सुख-समृद्धिः इस बार बनेंगे शुभ संयोग, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सामग्री

नापासर टाइम्स। चैत्रीय नवरात्रि बुधवार से शुरू होंगे। इस अवसर पर घरों और मंदिरों में घट स्थापना कर नौ दिन तक मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाएगी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार नवरात्रि में खरीदारी के लिए हर दिन शुभ रहेगा। इस दौरान सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि, द्विपुष्कर और रवियोग बनेंगे। जिनमें खरीदी गई कोई भी वस्तु जीवन भर शुभ फलदायी रहती है। इधर, बुधवार से ही भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत 2080 शुरू हो रहा है। जिसके स्वागत में विभिन्न संगठनों की ओर से तैयारियां की गई हैं। नापासर सहित बीकानेर शहर में कई आयोजन भी होंगे।

चैत्र नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त

लाभ का चौघड़िया में सुबह 6:41 से 7:41 बजे तक।

अमृत का चौघड़िया में सुबह 8:15 से 9:45 बजे तक।

अन्य मुहूर्त सुबह 11:15 बजे से 12 बजे तक।

नए संवत का नाम नल, बुध होंगे राजा

ज्योतिषाचार्य शिवकांत शास्त्री ने बताया कि इस नव संवत का नाम नल है। नए वर्ष के राजा बुध हैं और मंत्री शुक्र हैं। बुध और शुक्र की वजह से नव वर्ष सभी के लिए शुभ रहेगा। व्यापारियों को इस साल बड़े लाभ मिल सकते हैं, व्यापार का विस्तार हो सकता है। बुधवार से चैत्र नवरात्रि शुरू होगी, इसे रामरात्र भी कहा जाता है। बुध के राजा होने से इस साल सुख-समृद्धि बढ़ेगी। इसके साथ ही शुक्र के मंत्री होने से वैभव और संपत्तियों में बढ़ोतरी होगी।

चैत्र नवरात्रि में ऐसी रहेगी ग्रहों की स्थिति

ज्योतिषाचार्य शिवकांत शास्त्री के अनुसार इस नवरात्रि की शुरुआत में गुरु अपनी राशि मीन में सूर्य के साथ रहेगा। शनि अपनी राशि कुंभ में है। शुक्र और राहु की युति मेष राशि में रहेगी । शनि की तीसरी पूर्ण दृष्टि शुक्र-राहु पर रहेगी। इस वजह से चैत्र नवरात्रि में तंत्र से जुड़े काम जल्दी सफल हो सकते हैं।

कलश स्थापना की विधि

गणेशजी को प्रणाम करें। फिर जिस जगह कलश स्थापित करना है, उस भूमि को प्रणाम करें और वहां चौकी रखें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर धान रखें और उन्हें प्रणाम करें। इसके बाद उन पर कलश रखें।

कलश में शुद्ध पानी और गंगाजल भरें। उसमें चंदन, रोली, हल्दी की गांठ, फूल, दूर्वा, अक्षत, सुपारी और सिक्का डालें। पत्ते रखकर कलश को ढंक दें। कलश स्थापना करते वक्त कलश स्थापना करते वक्त ॐ नमशचण्डिकाये मंत्र बोलें।