नापासर टाइम्स। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जानकी अष्टमी मनाई जाती है, यानि इस दिन सीता माता ने धरती पर जन्म लिया था, या कहें सीता मैय्या इस दिन धरती पर प्रकट हुई थीं. इसी दिन को सीता अष्टमी या जानकी जयंती के रूप में मनाया जाता है. 14 फरवरी 2023, मंगलवार के दिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पड़ रही है. इस दिन प्रभु श्री राम और माता सीता की पूजा की जाती है.
*सीता अष्टमी पूजन-विधि*
इस दिन सुहागन महिलाएं सीता अष्टमी का व्रत रखती हैं.
सीता अष्टमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर माता सीता और भगवान राम का आर्शीवाद लेते हुए व्रत का संकल्प लें.
सबसे पहले गणेश जी और मां दुर्गा की पूजा करें और उसके बाद माता सीता और भगवान राम की पूजा करें.
माता सीता को पीले रंग के फूल चढ़ाए , उनको पीले वस्त्र और श्रृंगार का सामान अर्पित करें.
इसके बाद सीता माता को पीली चीजों का भोग लगाएं.
माता सीता की आरती करें आरती करने के बाद “श्री जानकी रामाभ्यां नमः” मंत्र का 108 बार जप करें.
इस दिन गुड़ से बना खाना बनाना चाहिए साथ ही इनका दान भी करना चाहिए.
शाम के वक्त पूजा करने के बाद इसी भोजन से अपने व्रत को खोलना चाहिए.
*सीता अष्टमी शुभ मुहूर्त*
फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आज 13 फरवरी को सुबह 8:15 से शुरू होगी और अगले दिन 14 फरवरी सुबह 7:40 पर खत्म होगी उदया तिथि को मानते हुए जानकी जयंती 14 फरवरी को भी मनाई जाएगी.
*सीता माता से जुड़ी कथा*
रामायण में बताया गया है एक बार राजा जनक खेत में धरती जोत रहे थे. उस समय उन्हें धरती में से सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी हुई एक सुंदर कन्या मिली. राजा जनक की उस समय कोई संतान नहीं थी. इसलिए राजा जनक ने उस कन्या को गोद ले लिया और उसका नाम सीता रखा और जीवन भर उसे अपनी पुत्री के रूप में अपनाया. इसीलिए सीता माता जनक पुत्री जानकी कहलाई.