बीकानेर। पूर्व यूआईटी चैयरमेन महावीर रांका के नेतृत्व में जिला कलक्ट्रेट के समक्ष चल रहे आमरण अनशन के तीसरे दिन 51 पंडितों द्वारा सद्बुद्धि यज्ञ किया गया तथा राज्यपाल के नाम ज्ञापन प्रेषित किया गया। भाजपा नेता महावीर रांका ने बताया कि तीन दिन से नौ आदमी भूख हड़ताल पर बैठे हैं, लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा। राजनैतिक दुर्भावना और निर्दयता स्पष्ट झलक रही है। महावीर रांका ने कहा कि सरकार तो दूर की बात गृह जिले का मंत्री भी अपने शहर की पीड़ा को नहीं समझ पा रहा।
भाजपा नेता राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि बुधवार को आमरण अनशन को अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष भंवर पुरोहित के नेतृत्व में 14 विभाग के कर्मचारियों ने समर्थन दिया। पुरोहित ने कहा कि न्यायालय से बड़ा कोई नहीं और न्यायालय के आदेश की अवमानना करना बहुत बड़ा अपराध है। राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि वाल्मिकी समाज के वरिष्ठ नेता शिवलाल तेजी व मंडलीय चारण महासभा बीकानेर संभाग के अध्यक्ष भंवरदान देपावत ने भी अनशन को समर्थन दिया।
रमेश भाटी ने बताया कि उदयरामसर से सैकड़ों युवक रैली के रूप में धरनास्थल पर पहुंचे और समर्थन दिया। इस दौरान आनन्द सोनी, मधुसूदन शर्मा, यशराज यादव, विक्रम स्वामी, सत्यनारायण मोदी, चेतनलाल, गिरिराज, मेहुलयादव, उमेश गिरि, मनोज बिश्नोई, मनजीत सिंह सहारण, रामस्वरूप मेघवाल, जसाराम भील, रिपुदमन सिंह, मूलचंद लेखाला, मनोज पारख, बजरंग लूणिया, रामलाल कच्छावा गणेश जाजड़ा, नरेश यादव, महावीर सिंह यादव, ओम सिंह खीचड़, देवेन्द्र सिंह मेड़तिया, अजयपाल सिंह तंवर, कैलाश पारीक, एडवोकेट सुरेश सिसोदिया, प्रेमसिंह खीची, बिहारीलाल सारड़ा, पवन छींपा, बजरंग शर्मा, करणीसिंह पडि़हार, तख्त सिंह पडि़हार, मदनमोहन सारड़ा, तेजकरण गहलोत, मालचंद जोशी, अशोक चौरडिय़ा, घनश्याम रामावत, राजेश रामावत, महेन्द्र साध, कृष्णनारायण शर्मा आदि शामिल रहे।
सहायक कुलसचिव कुंजीलाल स्वामी ने बताया कि आभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर सोसाइटी में मानवश्रम आपूर्तिकर्ता के माध्यम से कार्यरत कार्मिक (रामकिशन गोदारा) को हटाए जाने पर न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश जारी किये जाने पर न्यायालय के आदेश की पालना में पुन: सेवा में लिया गया। इसी सोसाइटी में 18 तदर्थ नियुक्त कार्मिकों की सेवाएं समाप्त किये जाने पर भी न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश जारी किये जाने पर पुन: सेवा में लिया गया। इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर सोसायटी का एक अन्य उदाहरण एसोसिएट प्रोफेसर अजीत पूनियां की सेवाएं समाप्त करने के उपरान्त न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश जारी किये जाने पर न्यायालय के आदेश की पालना में पुन: सेवा में लिया गया था हालांकि अपीलीय प्रक्रिया आदि भी सरकार राज्य पक्ष द्वारा संस्थित की गई है। सहायक कुल सचिव कुंजीलाल ने बताया कि एक ही सोसाइटी में 4 भिन्न भिन्न प्रकार के सेवा समाप्ति के प्रकरण जिनमें से ठेका माध्यम से कार्यरत कार्मिक तदर्थ नियुक्त अशैक्षणिक कार्मिकों और शैक्षणिक कार्मिक के सेवा समाप्ति के उपरान्त न्यायालय के स्थगन आदेशों की पालना में पुन: सेवा में लिया गया, परन्तु इस चौथे प्रकरण 18 नियमित अशैक्षणिक कार्मिकों को एकलपीठ एवं खण्डपीठ के निर्णय के उपरान्त भी पुन: सेवा में नहीं लिया जा रहा है। यह अपने आपमें ही दुर्भावना से किया गया कार्य और भेदभाव को पुष्टि प्रदान करता है। इसके साथ ही सरकार द्वारा मृतक आश्रित के अनुकंपा नियुक्ति प्रकरणों को 45 दिवस में निस्तारित करने के निर्देश जारी किये गए हैं। परन्तु हठधर्मिता की पराकाष्ठा, मानवीयता का इतना अवमूल्यन कि इन कार्मिकों में से एक कार्मिक की माह जून 2021 में मृत्यु उपरान्त मार्च 2022 में निष्कासन (10 माह लगभग) मृतक आश्रित विधवा को नियुक्ति प्रदान नहीं की गई व अन्य परिलाभ नही किये गए। अपितु मृत्यु के 10 माह बाद जब कार्मिकों के सेवा समाप्ति के आदेश प्रदान किये गए जिसमें मृतक कार्मिक की सेवा समाप्ति का भी उल्लेख था। अंकेक्षण विभाग द्वारा महाविद्यालय के लेखों के अंकेक्षण प्रतिवेदन में 10 करोड़ रूपये से अधिक राशि को रिकवरी योग्य उल्लेखित किया है महाविद्यालय के लेखों मे अन्य अनियमितताएं भी अंकेक्षण रिपोर्ट में उल्लेखित है। इस ऑडिट रिपोर्ट की अनुपालना में भी महाविद्यालय ने गंभीरता से कार्यवाही नही की।