नापासर टाइम्स। हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से लोगों के सभी पाप धुल जाते हैं और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती है. माघ मास में नदी में स्नान करने की परंपरा है. इस वर्ष माघी पूर्णिमा का पर्व 05 फरवरी 2023 यानी आज मनाया जाएगा.
गंगा जैसी पवित्र नदियों में माघ मेले का समापन भी इस दिन ही होगा. अनेकों श्रद्धालु माघी पूर्णिमा के दिन प्रयाग-हरिद्वार के गंगा तट आदि नदियों में स्नान, दान एवं श्री हरि की पूजा के लिए आते हैं. इस दिन कल्पवासी प्रातः स्नान ध्यान कर गंगा माता की आरती करते हैं. इस वर्ष शनि ग्रह का प्रवेश कुंभ राशि में 17 जनवरी को हुआ है जिसके कारण माघी पूर्णिमा के दिन स्नान कर शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी.
1. काले उड़द को काले कपड़े में बांधकर किसी एकांत स्थान पर रखना चाहिए, जिससे शनिदेव की विशेष कृपा होती है.
2. शनिदेव के निमित्त हमें लोहे का दान यथा शक्ति करना चाहिए जिससे शनिदेव की कुदृष्टि हम पर नहीं पड़ती है.
3. किसी गरीब को कम्बल का दान करना चाहिए जिससे आने वाले संकट का भय नहीं होता है. 4. भोजन सामग्री किसी दीनहीन को देने से घर में समृद्धि आती है और निर्धनता समाप्त होती है.
*माघी पूर्णिमा का धार्मिक महत्व*
धार्मिक दृष्टिकोण से माघ मास का बड़ा ही विशेष महत्व बताया गया है जिसमें सौर मास का दसवां स्थान प्राप्त पूर्णिमा तिथि पर मघा नक्षत्र होने से इसे माघ मास कहा जाता है. कहते हैं कि इस मास में पुण्यसलिला नदी के शीतल जल में कोई भी मनुष्य स्नान करता है तो वह समस्त पापों से मुक्ति पाकर अंत में स्वर्ग लोक की प्राप्ति करता है.
इससे प्रचलित एक मंत्र भी है- माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्त पापास्त्री दिवम प्रयांति. इस मास को हरि का मास भी कहा जाता है. साथ ही श्रीहरि के नाम का उच्चारण तथा पूजन का विशेष महत्व बताया गया है.
*माघ पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व*
इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. कहा जाता है जो मनुष्य तपस्या एवं दान से भगवान श्री हरि को प्रसन्न करता है, उसी भाव से श्रीहरि भी अपने भक्तों को स्वर्ग की प्राप्ति एवं सभी पापों से मुक्ति दिलाते हैं. किसी भी नदी में स्नान करने के लिए किसी तिथि की आवश्यकता नहीं होती है. क्योंकि नदी के किनारे बसे हुए तीर्थ स्थान की अपनी महिमा बताई जाती है.
माघी पूर्णिमा के दिन विशेष फल की प्राप्ति के लिए भक्तगण प्रयाग आदि तट एवं नजदीकी तीर्थ में स्नान, दान, गोदान, यज्ञ करते हैं. धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस दिन संगम स्थल पर स्नान किया जाए तो हमें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस वर्ष पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है तथा शनि और शुक्र की युति भी इस व्रत एवं स्नान को विशेष फल प्रदान करने वाली है.
*माघी पूर्णिमा व्रत विधि*
माघी पूर्णिमा के दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु एवं गंगा मैया की विधि पूर्वक कंकू, अबीर, गुलाल, सिंदूर, हल्दी, पंचामृत आदि से अभिषेक कर पूजा अर्चना करनी चाहिए. साथ ही ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करना चाहिए. इसके पश्चात पितरों का श्राद्ध करना चाहिए जिससे श्राद्ध का फल प्राप्त होता है. गरीबों को भोजन, वस्त्र, दान देने का भी विशेष फल मिलता है. इस दिन तिल, कंबल, कपास, गुड, घी, मोदक, जूते, फल, अन्न और यथाशक्ति स्वर्ण का दान किया जाए तो वह भी विशेष फल देने वाला होता है.
*माघी पूर्णिमा शुभ मुहूर्त*
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा की शुरुआत 04 फरवरी 2023 यानी आज रात 09 बजकर 29 मिनट पर होगी और इसका समापन 05 फरवरी रात 11 बजकर 58 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, माघ पूर्णिमा 05 फरवरी को ही मनाई जाएगी. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत सुबह 07 बजकर 07 से लेकर दिन में 12 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. साथ ही इस दिन पुष्य और अश्लेषा नक्षत्र का निर्माण भी हो रहा है, जो माघ पूर्णिमा के लिए बेहद शुभ माना जाता है.