नापासर टाइम्स। बीकानेर में पांच महीने की बच्ची को नहर में फेंकने के मामले में झकझोर देने वाली जानकारी सामने आई है। मासूम को किसी और ने नहीं, बल्कि उसके मां-बाप ने मिलकर फेंका था, इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि यह जघन्य अपराध उसके पिता ने सरकारी नौकरी के लिए किया था। संविदा पर मिली सरकारी नौकरी में परेशानी से बचने के लिए उसने बेटी अंशिका उर्फ अंशु को मार दिया।
ट्रेनी एसआई की सूझबूझ से पकड़े
बीकानेर के छत्तरगढ़ थाना इलाके में शाम 5 बजे हुई घटना की जानकारी मिलने के साथ ही छत्तरगढ़ व खाजूवाला एरिया में नाकेबंदी कर दी गई। जहां खाजूवाला के ट्रेनी सब इंस्पेक्टर मुकेश कुमार ने एक बाइक को रोका। इस पर पुरुष, महिला और एक बच्चा था। तीनों को रोककर पूछताछ करने पर उन्होंने साले के यहां आना बताया।
शक होने पर मुकेश कुमार ने इन तीनों की फोटो खींच ली। बाइक का भी फोटो लिया। झंवरलाल का आधार कार्ड का फोटो भी मोबाइल में लिया। इसके बाद जाने दिया। आला अधिकारियों को इस बारे में बताया तो दियातरा से झंवरलाल के बारे में जानकारी ली गई। यहीं से पता चला कि वो एक नहीं दो बच्चों के साथ गया था। इसमें एक पांच महीने की बच्ची भी थी।
नौकरी का सवाल था, इसलिए फेंका
सूत्रों की मानें तो झंवरलाल इन दिनों संविदा पर सरकारी स्कूल में टीचर लगा हुआ है। उसे उम्मीद थी कि वो जल्द स्थाई हो जाएगा। नौकरी में शर्त है कि दो से ज्यादा संतान नहीं होनी चाहिए। हालांकि एक बच्ची को नहर में फेंकने के बाद भी उसके तीन बच्चे हैं। इनमें एक बेटी उसने बड़े भाई को गोद दे रखी है। उसका अभी भी ये कहना है कि दुर्घटनावश बच्ची नहर में गिर गई।
चाण्डासर में संविदा पर है
झंवरलाल चाण्डासर में गांव में विद्यालय सहायक पद पर कार्यरत है,उसने पिछले साल दिसम्बर में ही खुद की दो संतान होने का शपथ पत्र दिया था। उसे अंदेशा था कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर उसका स्थाईकरण नहीं होगा। ऐसे में उसने एक बच्ची को नहर में फेंककर मार दिया। पत्नी को भी शामिल किया पुलिस अधीक्षक योगेश यादव ने बताया कि झंवरलाल ने इस घटना में अपनी पत्नी को भी शामिल कर लिया। वो दो दिन पहले ही छत्तरगढ़ स्थित अपने साले के घर गया। रविवार को चार सीएचडी स्थित साले के घर से वापस दियातरा जाते समय रास्ते में बच्ची फेंक दिया। यहां से बहुत आसानी से दियातरा के लिए रवाना हो गया।