नापासर टाइम्स। शहरी क्षेत्र के अलग-अलग एरिया में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले 400 परिवारों को चकगर्बी में बसाया जाएगा। यूआईटी ने इसके लिए काम शुरू कर दिया है और प्रत्येक परिवार के लिए प्लॉटिंग की जा रही है। पूर्व में श्रीगंगानगर हाईवे और करणी नगर में बसे झुग्गी-झोंपड़ी वालों को भी चकगर्बी में शिफ्ट किया गया था।
पूर्व में श्रीगंगानगर हाईवे और करणी नगर में सालों से झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले करीब 400 परिवारों को चकगर्बी में शिफ्ट किया गया था।
इसके बावजूद शहर के पूगल रोड कृषि मंडी, मोटियार धर्मकांटा, जयपुर रोड पर वैष्णव धाम, वृंदावन एन्क्लेव, सागर रोड पर स्वर्ण जयंती योजना, पवनपुरी में शनि मंदिर के पास और दक्षिण विस्तार योजना सहित अनेक स्थानों पर झुग्गी- झौंपड़ी बनाकर रहने वालों को नहीं हटाया जा सका था। अब प्रशासन ने ऐसे लोगों को भी चकगर्बी में शिफ्ट करने की तैयारी कर ली है। यूआईटी के अधिकारी चकगर्बी की 6 बीघा जमीन पर 15 बाई 15 साइज की प्लॉटिंग कर रहे हैं। ट्यूबवैल बना दिया है और 20-20 फीट की मुढ़िया सड़कें व शौचालय का निर्माण शुरू किया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रशासन ने पूर्व में जिस 8 बीघा जमीन पर मूलभूत सुविधाओं का इंतजाम कर 400 परिवारों को बसाया था, उसी के पास एक बार फिर पानी-बिजली और अन्य मूलभूत सुविधाओं का इंतजाम किया जा रहा है।
अवैध बस्तियों की तीन बड़ी वजह
सरकार की योजना है जिसमें झुग्गी-झोंपड़ी में दयनीय
अवस्था में रहने वाले निर्धनतम लोगों के लिए आवास की व्यवस्था की जाती है। इसी योजना में बीकानेर शहर के अलग-अलग इलाकों में झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले लोगों को चकगर्बी में बसाया जा रहा है। वहां उनके लिए पानी-बिजली सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। – यशपाल आहूजा, यूआईटी सचिव
शहर के अलग-अलग और पॉश इलाकों में भी झुग्गी-झोंपड़ी बनाकर लोग बसे हैं। ऐसी अवैध बस्तियों के तीन बड़े कारण है।
1. अतिक्रमण होते समय यूआईटी, नगर निगम और अन्य संबंधित विभागों की अनदेखी जिसके कारण धीरे-धीरे अतिक्रमियों की संख्या बढ़ जाती है। 2. पानी – बिजली के कनेक्शन आसानी से मिलना । दोनों सरकारी महकमों की ओर से यह नहीं देखा जाता कि कनेक्शन वैध जगह है या अवैध । निर्धारित शुल्क और कागज जमा करने पर कनेक्शन मिल जाता है। या फिर, अवैध रूप से कनेक्शन लिए जाते हैं जिन्हें हटाया नहीं जाता।
3. आमजन की भी जिम्मेवारी बनती है कि इस तरह की अवैध बस्तियों को पनपने ना दें और प्रशासन या संबंधित विभाग को शिकायत करें। लेकिन, समस्या बड़ी होने का इंतजार किया जाता है।