नापासर टाइम्स। आज पौष मास की द्वादशी तिथि है। इस पवित्र महीने में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने की परंपरा है। इस दिन भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। ऐसा करने से महायज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है। भगवान विष्णु की पूजा के लिए खास दिन होने से श्रीकृष्ण ने इस तिथि को पर्व कहा है।
*द्वादशी तिथि का महत्व*
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि ग्रंथों में हर द्वादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने का महत्व बताया गया है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के 12 नामों से पूजा करनी चाहिए। साथ ही ब्राह्मण भोजन या जरूरतमंद लोगों को अन्न दान करना चाहिए। ऐसा करने से हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं और कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। पुराणों के मुताबिक इस तिथि के शुभ प्रभाव से सुख-समृद्धि बढ़ती है और मोक्ष मिलता है।
*पौष और खरमास में विष्णु पूजा का संयोग*
डॉ. मिश्र के का कहना है कि पौष और खर मास में भी भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा करने का विधान है। इसका जिक्र विष्णुधर्मोत्तर पुराण में भी किया गया है। इन दोनों महिनों के संयोग में आने वाली एकादशी और द्वादशी तिथि पर तीर्थ के जल में तिल मिलाकर नहाना चाहिए। फिर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा और दिनभर व्रत या उपवास रखकर जरूरतमंद लोगों को दान देने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
*दूध से अभिषेक करें और तुलसी पत्र चढ़ाएं*
स्कन्द पुराण और महाभारत के अश्वमेधिक पर्व में बताया गया है कि हर महीने की द्वादशी तिथि पर शंख में दूध और गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु या श्री कृष्ण की मूर्ति का अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद पूजन सामग्री और फिर तुलसी पत्र चढ़ाएं।
पूजा में भगवान विष्णु को ऋतु फल (मौसमी फल) अर्पित करना चाहिए। इसके बाद नैवेद्य लगाकर प्रसाद बांटे। फिर ब्राह्मण भोजन या जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाए। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप और दोष खत्म होते हैं।