नापासर टाइम्स। बीकानेर में आजीविका योजना के तहत महिलाओं से संवाद कार्यक्रम के दौरान राजस्थान सरकार के मंत्री रमेश चंद्र मीणा ने कलेक्टर को बाहर निकाल दिया था.इसके बाद से उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल आज जोधपुर दौरे पर रहे. इस दौरान रोजगार मेले में शामिल होकर युवाओं को रोजगार के नियुक्ति पत्र दिए. साथ ही युवाओं को उज्जवल भविष्य के लिए बधाई दी. वहीं मीडिया से बात करते हुए मेघवाल ने कहा कि गहलोत सरकार संकट में है. इस दौरान उन्होंने नेताओं के बिहेवियर को लेकर भी सवाल उठाए.
*‘दो खेमों में बटी सरकार’*
बीकानेर जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल के साथ हुए बिहेवियर को लेकर गहलोत सरकार और नेताओं पर हमला बोला. अर्जुन मेघवाल ने कहा, “मुझे लगता है कि सरकार है या नहीं पता ही नहीं चलता? सरकार अल्पमत में है या बहुमत में है यह भी पता नहीं चल रहा हैं? सरकार दो खेमों में बटी हुई है यह सबको पता है. कौन किसको नीचा दिखा रहा है यह भी सबको पता है गहलोत सरकार में क्राइसिस है. सरकार संकट में है. मैं उन्हें कहना चाहता हूं कि आप इस तरह से बिहेवियर क्यों कर रहे हैं बिहेवियर भी एक पार्ट होता है मुझे लगता है कि सरकार के क्राइसिस का एक पार्ट बिहेवियर भी है.”
*मंत्री ने कलेक्टर को निकाला था बाहर*
दरअसल, बीकानेर के रविंद्र रंगमंच पर सोमवार को राजीविका योजना के तहत महिलाओं से संवाद कार्यक्रम के दौरान राजस्थान सरकार के मंत्री रमेश चंद्र मीणा ने कलेक्टर को बाहर निकाल दिया था. मंत्री मंच से राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में बोल रहे थे, उसी दौरान जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल फोन पर बात करते दिखे तो मंत्री रमेश चंद्र मीणा आग बबूला हो गए. इसके बाद मंत्री ने कहा, “सीएम साहब ने कहा है आप हमारी बात सुनें और आप हमारी बात ही नहीं सुन रहे हैं जाइए आप यहां से बाहर जाइए इस घटना के बाद प्रदेश में कई संगठन व विभाग विरोध में उतर गए हैं.”
*‘कामकाज पर पड़ेगा असर’*
राजस्थान आईएएस संगठन के सचिव समित शर्मा ने लेटर जारी कर इस तरह के रवैये को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं एसोसिएशन यह भी कहना चाहता है, “अगर किसी अधिकारी का कार्य संतोषजनक नहीं है तो उसके खिलाफ उचित माध्यम से कार्रवाई की जानी चाहिए. लेकिन केवल प्रचार और मीडिया विवाद पैदा करने के लिए प्रतिकूल टिप्पणी करने से किसी भी वास्तविक मुद्दे का समाधान नहीं होता है. राजनीतिक अंक अर्जित करने के साधन के रूप में नौकरशाही का उपयोग करने से केवल अधिकारियों के बीच भय व डर पैदा करने में सफलता मिलती है और सार्वजनिक रूप से उन्हें अपमानित करने सेसरकार के कामकाज पर असर पड़ता है.”
समित शर्मा ने आगे कहा, “ऐसी घटनाएं, अगर जारी रहती हैं तो भविष्य में अधिकारी स्वतंत्र रूप से काम करने और कठिन निर्णय लेने से हतोत्साहित होंगे. नेक इरादे से काम करने वाले अधिकारियों को अगर स्वतंत्र रूप से काम करने से हतोत्साहित किया जाता है तो इसका खामियाजा पूरे प्रशासनिक तंत्र को भुगतना पड़ता है. इस तरह की बार-बार होने वाली घटनाओं पर ध्यान दें और उचित कार्रवाई करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सके. अगर इस घटना की सार्वजनिक रूप से निंदा की जा सके तो हम बहुत सराहना करेंगे ताकि सिविल सेवकों का मनोबल बहाल किया जा सके.”