नापासर टाइम्स। बुधवार, 23 नवंबर को अगहन मास की अमावस्या है। इस तिथि पर पितरों के लिए विशेष पूजा करने की परंपरा है। अमावस्या को पुराणों में पर्व कहा गया है। इसलिए इस दिन पवित्र नदियों में नहाने का विधान है। किसी कारण से ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान करने का पुण्य मिल जाता है। नहाने के बाद घर में ही दीपक जलाएं और सुबह जल्दी पीपल की पूजा भी करें।
*ऐसे करें पितरों के लिए विशेष पूजा*
चांदी या तांबे के लोटे में पानी, दूध, जौ, तिल, चावल और सफेद फूल मिलाएं। इस पानी को हथेली में लेकर अंगूठे की तरफ से पितरों के लिए किसी बर्तन में छोड़ें। ऐसा करते हुए पितृ देवताभ्यो नम: मंत्र बोलते जाएं। ऐसा पांच या ग्यारह बार करें। उसके बाद ये जल पीपल में चढ़ा दें।
*भोजन और कपड़ों का दान*
अगहन महीने में अन्नदान करने का महत्व बताया गया है। ऐसा करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। इसलिए अगहन महीने में जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाना चाहिए। साथ ही श्राद्धा के हिसाब से किसी भी जरूरतमंद को खाना खिलाएं। अनाज के साथ कपड़ों का दान भी करना चाहिए। मौसम के हिसाब से गरम कपड़ों का दान भी करें।
*बुधवार और अमावस्या का योग*
बुधवार और अमावस्या के योग में गणेशजी की पूजा भी विशेष रूप से जरूर करें। गणेशजी को दूर्वा चढ़ाएं और श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। गणेशजी को घर में बने लड्डू का भोग लगाएं।
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मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर 2022 को है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन कुछ खास कार्य करने की मनाही है. अमावस्या के नियमों का पालन न करने वालों को अशुभ फल की प्राप्ति होती है.
अमावस्या तिथि को पितृ कर्म के लिए उपयुक्त माना गया है. इस दिन पूजन सामग्री खरीदना अच्छा नहीं माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार अमावस्या को पूर्णता पूवर्जों को याद करने का दिन माना गया है.
वैसे तो किसी भी दिन वृक्षों को काटना उचित नहीं है लेकिन अमावस्या के दिन भूलकर भी पीपल, नीम या बरगद के पेड़ को नुकसान न पहुंचाएं. ऐसा करने पर पितृदोष लगता है. जातक को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से हानि होती है.
अमावस्या तिथि पर गलती से भी किसी बुजुर्ग, बेसहारा व्यक्ति, गरीबों का अपमान न करें. इससे पितृदोष लगता है. जीवन संकटों से घिर जाता है.
मार्गशीर्ष अमावस्या पर अगर कोई जरुरतमंदो व्यक्ति, असहाय, निर्बल व्यक्ति आपके द्वारे आए तो उसे खाली हाथ न लौटएं. क्षमता अनुसार कुछ दान जरूर करें. ऐसा न करने पर पितर नाराज हो जाते हैं.
शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन नकारात्मक शक्तियां का प्रभाव तेज होता है. ऐसे में इस दिन सुनसान रास्तों पर जाने से बचें. कमजोर इच्छाशक्ति के लोगों को इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
अमावस्या के दिन व्रत और श्राद्ध कर्म करने वालों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. इससे जप-तप का फल नहीं मिलता.
अमावस्या के दिन कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए. शास्त्रों के अनुसार ऐसा करना शुभ फलदायी नहीं होता.