नापासर टाइम्स। सूर्य ग्रहण के बाद अब साल का अंतिम चंद्र ग्रहण आज दिखाई देगा. ग्रहण की शुरुआत दोपहर 2.38 बजे होगी और शाम को 4.23 से ईटानगर में चंद्रोदय के साथ ही ग्रहण दिखाई देगा. चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण की संपूर्ण जानकारी.
*कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण?*
विदेशों के साथ ये ग्रहण भारत में भी दृश्यमान होगा. अरुणाचल प्रदेश में सबसे पहले पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देग. देश के पूर्वी भाग कोलकाता, पटना, ईटानगर, रांची कोहिमा, पटना, पुरी, रांची, ईटानगर के आसपास के शहरों में पूर्ण चंद्र ग्रहण और शेष भारत में आंशिक चंद्र ग्रहण दिखेगा.
दुनिया में चंद्र ग्रहण – ऑस्ट्रेलिया,उत्तर-दक्षिण अमेरिका, उत्तरी-पूर्वी यूरोप,एशिया,प्रशान्त महासागर
*चंद्र ग्रहण का सूतक काल कब शुरू होगा?*
चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से नौ घंटे पहले सुबह 8.21 बजे से शुरू हो जाएगा. ग्रहण से पूर्व की एक निश्चित समयावधि को सूतक के रूप में जाना जाता है. हिन्दु मान्यताओं के अनुसार सूतक काल के समय पृथ्वी का वातावरण दूषित होता है. सूतक के अशुभ दोषों से सुरक्षित रहने हेतु अतिरिक्त सावधानी रखनी चाहिए. भारत में चंद्र ग्रहण का समय अलग-अलग है. इसकी समाप्ति शाम को 6.18 पर होगी और सूतक काल भी इसी के साथ खत्म हो जाएगा.
*भारत में चंद्र ग्रहण-*
शाम 4.23 – शाम 6:18 (8 नवंबर 2022)
*चंद्र ग्रहण-सूतक में क्या करें*
ग्रहण और सूतक काल में पूजा वर्जित हैं लेकिन मंत्र का जाप कर सकते हैं. ग्रहण के दौरान इस मंत्र का जाप करें तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन। हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥ या विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत। दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥
चंद्र ग्रहण का सूतक काल लगने से पहले मंदिर के कपाट बंद कर दें. ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान और दान करें. इसकी समाप्ति पर पूरे घर में गंगाजल छि़ड़कर शुद्धिकरण करें. भगवान को भी गंगाजल से स्नान कराएं.
सूतक काल लगने से पहले अनाज और तरल पदार्थों में तुलसी दल और कुश डाल दें. मान्यता है कि इससे इन चीजों को ग्रहण के दुष्प्रभाव से संरक्षित किया जा सकता है.
*चंद्र ग्रहण : सूतक में क्या न करें*
शास्त्रों के अनुसार ग्रहण एवं सूतक के दौरान समस्त प्रकार के ठोस एवं तरल खाद्य पदार्थों का सेवन निषिद्ध है, हालांकि बुजुर्गों और रोगियों के लिए मान्यता अनुसार इसमें छूट दी गई है.
इसमें न ही भोजन पकाना चाहिए, न ही इनका सेवन करना चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना गया है.
सूतक काल में सूर्य को अर्घ्य भी नहीं दिया जाता, न ही तुलसी और किसी भी पूजनीय पेड़-पौधों में जल अर्पित न करें.
इस दिन गर्भवती महिलाएं विशेषकर सावधानियां बरतें. सूतक काल के शुरू होने से पहले ग्रहण खत्म होने तक घर से बाहर न निकलें.