Shani Pradosh Vrat 2022: आज है शनि प्रदोष, जानें मुहूर्त, मंत्र, व्रत और पूजा विधि

नापासर टाइम्स। आज 05 नवंबर को इस नवंबर माह का पहला और कार्तिक माह का दूसरा शनि प्रदोष व्रत है. शनि प्रदोष व्रत वाले दिन व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं. आज के दिन प्रदोष काल में यानि शाम के समय में पूजा करने का मुहूर्त होता है. प्रदोष व्रत यानि वह व्रत जिसको करने से सभी प्रकार के दोष दूर होते हैं. आज शनि प्रदोष व्रत पर रवि योग भी बना हुआ है, हालांकि यह रात के समय में है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं शनि प्रदोष व्रत के मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.

*शनि प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त*

कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी ति​थि का प्रारंभ: 05 नवंबर, शनिवार, शाम 05 बजकर 06 मिनट से

कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी ति​थि का समापन: 06 नवंबर, रविवार, शाम 04 बजकर 28 मिनट पर

शिव पूजा का प्रदोष मुहूर्त: आज शाम 05 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 10 मिनट तक

निशिता मुहूर्त: रात 11 बजकर 39 मिनट से देर रात 12 बजकर 31 मिनट तक

रवि योग: आज रात 11 बजकर 56 मिनट से कल प्रात: 06 बजकर 37 मिनट तक

आज का अभिजित मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक

*किसे रखना चाहिए शनि प्रदोष व्रत*

शनि प्रदोष व्रत मुख्यत: संतानहीन लोगों को या फिर जिनको पुत्र प्राप्ति की चाह है, उन्हें यह व्रत रखना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा से पुत्र की प्राप्ति होती है. हालांकि अन्य लोगों के लिए इस व्रत को रखने की मनाही नहीं होती है.

*शनि प्रदोष व्रत और पूजा विधि*

1. आज प्रात: स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. उसके बाद शनि प्रदोष व्रत और शिव पूजा का संकल्प लें.

2. प्रात:काल में आप दैनिक पूजा कर लें. फिर दिनभर फलाहार पर रहें. भगवान शिव की भक्ति और भजन में समय व्यतीत करें.

3. प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में किस पास के शिव मंदिर जाएं या फिर घर पर ही शिवलिंग की पूजा कर लें.

4. सबसे पहले शिवलिंग का गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें. उसके बाद शिवलिंग पर चंदन, अक्षत्, फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार पुष्प, शहद, भस्म, शमी के पत्ते, नैवेद्य, शक्कर, धूप, दीप आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें.

5. अब आप शिव चालीसा, शिव मंत्र, शिव रक्षा स्तोत्र, शनि प्रदोष व्रत कथा आदि का पाठ ओर श्रवण करें. फिर घी का दीपक जलाएं और उससे भगवान शिव की आरती करें.

6. भगवान शिव से पुत्र या संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें. शिव कृपा से आपके रोग और दोष भी दूर हो जाएंगे.

7. पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें. फिर अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें.