हिंदू नववर्ष यानी नवसंवत्सर पिङ्गल नाम विक्रम संवत् 2081, शक 1946 का शुभारंभ आज 9 अप्रैल को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हुई है. इसके साथ ही सौर सृष्टि की सत्ता में परिवर्तन भी हुआ है, जिसके अनुसार, इस हिंदू ननवर्ष के राजा मंगल और मंत्री शनि हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि यह हिंदू नववर्ष कैसा रहेगा? राजा मंगल और मंत्री शनि का प्रभाव क्या होगा? सृष्टि निर्माण के कितने अरब वर्ष पूरे हो गए हैं?
*हिंदू नववर्ष 2024 पहले दिन का मुहूर्त*
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का शुभारंभ: कल, सोमवार, रात 11:50 पीएम से हुआ.चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का समापन: आज, मंगलवार, रात 08:30 पीएम पर होगा.
सर्वार्थ सिद्धि योग: आज, 07:32 एएम से कल प्रात: 05:06 एएम तक
अमृत सिद्धि योग: आज, सुबह 07:32 बजे से कल सुबह 05:06 बजे तक
गजकेसरी योग: आज, सुबह 07 बजकर 32 मिनट से
वैधृति योग: आज सुबह से दोपहर 02:18 पीएम तक
रेवती नक्षत्र: आज, प्रात:काल से 07:32 एएम तक
अश्विनी नक्षत्र: आज, 07:32 एएम से कल 05:06 एएम तक
*कितने अरब वर्ष पहले हुआ सृष्टि निर्माण ?*
13 अप्रैल को मेष संक्रांति पर शपथ ग्रहण के साथ ही सृष्टि निर्माण के 1 अरब, 95 करोड़, 58 लाख, 85 हजार, 125 वर्ष पूरे हो जाएंगे. वहीं कलयुग के आरंभ हुए 5125 सौर वर्ष व्यतीत हो जाएंगे.
*राजा मंगल और मंत्री शनि पूरे साल मचाएंगे उथल-पुथल*
ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, सौर सत्ता के मंत्रिमंडल में मंगल अनेश, सस्येश और नीरसेश होगा, वहीं शनि मंत्री पद के साथ दुर्गेश और मेधेश होगा. राजा और मंत्री में परस्पर मधुर संबंध न होने से पूरे साल उथल-पुथल रहेगी.
केंद्र और सीमावर्ती राज्यों के मध्य तनाव की स्थिति बनती रहेगी. विश्व में महामारी, भूकंप, भारी बारिश और कहीं-कहीं पर अकाल की स्थिति बनती रहेगी. विश्व के राष्ट्रों के बीच उपनिवेशवाद में वृद्धि होगी. आर्थिक दृष्टि से धन का अभाव होगा और उससे वैश्विक समस्याएं उत्पन्न होंगी.
यूरोपीय देशों में मुद्रा का अवमूल्यन के कारण आर्थिक मंदी की स्थिति रहेगी. अधिकांश यूरोपीय देश भारत में बिजनेस बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा में शामिल होंगे.
हिंदू नववर्ष लग्न के अनुसार, सूर्य और चंद्र, राहु से ग्रहण योग में हैं. इस वजह से विश्व के नियम और नीति का बार-बार उल्लंघन होगा, जिससे देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनेगी. मिथुन लग्न में नववर्ष का प्रवेश होने से बुध और राहु की नीचस्थ स्थिति आतंक और उग्रवाद को बढ़ावा देगी. मंगल और शनि की युति से प्राकृतिक आपदा और आग लगने की घटनाएं अधिक होंगी.
दशम भाव में सूर्य और राहु के प्रभाव से कुछ राज्यों में सत्ता परिवर्तन के भी योग बनेंगे. वर्षा की दृष्टि से उत्तर और दक्षिण भागों में सामान्य से अधिक वर्षा होने के संकेत हैं. कुल मिलाकर वर्ष को उत्तम बनाने के लिए विधि विधान से नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा और सप्तशती पाठ कराने से वर्ष पर्यन्त सुख-समृद्धि रहेगी.