व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का होता है. एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता समाप्त होती है. पापमोचनी एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और प्रायश्चित के लिए किया जाने वाला व्रत है. इस व्रत से पूर्व कर्म के ऋण तथा राहु की समस्याएं भी दूर हो जाती हैं. यह चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. इस बार पापमोचनी एकादशी 5 अप्रैल यानी आज है. पापमोचनी एकादशी का मतलब है पाप को नष्ट करने वाली एकादशी. इस दिन भगवान विष्णु की विधि- विधान से पूजा की जाती है.
*पापमोचिनी एकादशी शुभ मुहूर्त*
पापमोचिनी एकादशी 5 अप्रैल यानी आज
एकादशी तिथि प्रारंभ- 4 अप्रैल यानी कल दोपहर 4 बजकर 14 मिनट से
एकादशी तिथि समापन- 5 अप्रैल यानी आज दोपहर 1 बजकर 28 तक
पारण का समय – 6 अप्रैल यानी कल सुबह 6 बजकर 5 मिनट से सुबह 8 बजकर 37 मिनट तक
*पापमोचनी एकादशी पूजा विधि*
एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और इसके बाद भगवान को धूप, दीप, चंदन और फल आदि अर्पित करके आरती करें. इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान जरूर करें. एकादशी पर रातभर जागरण करना चाहिए. इसके बाद द्वादशी तिथि को व्रत खोलना चाहिए.
*एकादशी व्रत रखने के नियम*
– इस व्रत को दो तरह के रखा जाता है निर्जल या फलाहारी तरीके से.
– निर्जल व्रत सिर्फ वही लोग रखें जो पूरी तरह से स्वस्थ हों. बाकी लोग फलाहारी व्रत रख सकते हैं.
– इस व्रत से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को सिर्फ एक बार भोजन करना चाहिए. इस दिन सिर्फ सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए.
– एकादशी तिथि को सुबह के समय पर भगवान विष्णु का पूजन करना शुभ माना जाता है.
*पापमोचनी एकादशी के उपाय*
सुबह सूर्योदय के पूर्व पीपल के वृक्ष में जल डालें. दिनभर जल और फल ग्रहण करके उपवास रखें. शाम के वक्त पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करें और उसके तने में पीला सूत लपेटते जाएं. कम से कम सात बार परिक्रमा करें. इसके बाद वहां दीपक जलाएं और सफेद मिठाई अर्पित करें. राहु की समस्या की समाप्ति की प्रार्थना करें.