नापासर टाइम्स। शुक्रवार और विनायकी चतुर्थी का योग 28 अक्टूबर को बन रहा है। इसी दिन से छठ पूजा (30 अक्टूबर) पर्व की शुरुआत भी हो रही है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के चतुर्थी व्रत में गणेश जी के लिए व्रत-उपवास और पूजन किया जाता है। शुक्रवार को ये तिथि होने से इस दिन लक्ष्मी जी और शुक्र ग्रह की भी पूजा करनी चाहिए। चतुर्थी व्रत में दिनभर निराहार रहना होता है और शाम को चंद्र दर्शन के बाद व्रत करने वाले भक्त अन्न ग्रहण करते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक शुक्रवार से ही छठ पूजा पर्व की शुरुआत हो रही है। छठ पूजा में सूर्य देव की विशेष पूजा करने की परंपरा है। विनायकी चतुर्थी, शुक्रवार और छठ पूजा के शुभ योग में किए गए धर्म-कर्म से शुभ फल से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं।
शुक्रवार को तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। इसके बाद घर के मंदिर में भगवान गणेश का पूजन करें। गणेश जी का पंचामृत से अभिषेक करें। पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर बनाएं। अभिषेक के बाद जल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान को वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल से गणेश जी का श्रृंगार करें। तिलक लगाएं। श्री गणेशाय नम: मंत्र का जप करें। भगवान को दूर्वा अर्पित करें और मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के बाद भगवान से क्षमा याचना करें। इसके बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
*शुक्र ग्रह के लिए करें ये शुभ काम*
शुक्र ग्रह की पूजा शिवलिंग में की जाती है। शिवलिंग पर जल, दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, फूल आदि अर्पित करें। चंदन का तिलक लगाएं। भगवान के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। इसके बाद भगवान को मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। शुक्रवार की शाम करें लक्ष्मी पूजा शुक्रवार की शाम को देवी लक्ष्मी और विष्णु जी का अभिषेक करें। इन दोनों देवी-देवता का फूलों से श्रृंगार करें। पूजन सामग्री चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं और तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। आरती करें। क्षमा मांगें और प्रसाद बांटें, खुद भी लें।