नापासर टाइम्स। लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व चुनाव का दिन कल है। भले ही परिणाम 3 दिसम्बर को आयेगा मगर तय कल ही हो जायेगा। एक दिन के लिए नहीं, पूरे पांच साल के लिए हम अपना और राजस्थान का भविष्य तय करेंगे। उस सरकार का गठन करेंगे जो न केवल लोकतंत्र की रक्षा करेगी अपितु हमारी सुविधाओं का विस्तार करेगी। विकास करेगी और रोजगार के अवसर देगी।
याद रखना जरूरी है कि हमारे हाथ में केवल कल का दिन है। उसके बाद 5 साल तक हम कुछ भी नहीं कर पायेंगे। सरकार जो करेगी, उसे स्वीकारने का ही विकल्प हमारे पास बचेगा। क्योंकि किसी भी जन प्रतिनिधि या सरकार को वापस बुलाने का अधिकार मतदाता के पास नहीं है। इसी वजह से मत के अधिकार का उपयोग, वो भी सही उपयोग जरूरी है।
लोकतंत्र की ये खूबसूरती है कि हमारे लिए चुनाव बेहतरी पाने का जरिया है तो राजनीतिक दलों व नेताओं के लिए सत्ता पाने का।
इसलिए मत के अधिकार में सावधानी जरुरी है। इसके उपयोग में न तो हमें प्रलोभन का शिकार होना चाहिए और न ही भावुकता के मुद्दों पर इस अधिकार का उपयोग करना चाहिए। आजादी के 75 साल में हमने कई बार मत दिया होगा, कुछ पहली या दूसरी बार मत दे रहे होंगे। फिर भी प्रलोभन व भावुकता के दुष्परिणाम को हर वो मतदाता जानता है जिसे लोकतंत्र में भरोसा है। इसलिए मत के अधिकार का उपयोग करते समय विवेक की प्रधानता रहनी आवश्यक है, भावुकता की नहीं।
हम अपने लिए नहीं, सबके लिए सरकार चुन रहे हैं। इसका भी भान होना जरूरी है। खुद के हित में यदि बहकेंगे तो सर्वहित की बात पूरी नहीं होगी। छोटे छोटे लक्ष्य, कारण, मत का आधार नहीं बनने चाहिए। बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए व्यक्तिगत हितों को पीछे रखने की सीख हर धर्म ग्रंथ देता है। जिसे हर धर्म वाले व्यक्ति को याद रखना चाहिए।
उम्मीदवार, राजनीतिक दल, उसका ट्रेक रिकॉर्ड, उसकी योजनाएं तो हम पूरे चुनाव प्रचार के दौरान जान चुके हैं, उनको निर्णय का आधार बनाना चाहिए। कौन हमारा, सबका, शहर का, राज्य का विकास कर सकता है, इस पर निर्णय करना चाहिए। तभी हम संविधान व उससे चलने वाले लोकतंत्र की रक्षा कर सकेंगे। इसलिए हे मतदाता ! प्रलोभन, भावुकता से बचें और अपने मत के अधिकार का उपयोग अवश्य करें।