नापासर टाइम्स। नामांकन प्रक्रिया सोमवार को पूरी हो गई। अब सिर्फ नामांकन पत्रो की जांच और नाम वापसी बचा है भाजपा, कांग्रेस और रातोपा उम्मीदवारों के नाम वापस लेने का सवाल ही नहीं। निर्दलीय कुछ नामांकन उठा सकते हैं। इसलिए नामांकन पत्र भरने के साथ ही जिले की सातों सीटों की स्थिति सामने आने लगी है। अगर नाम वापसी के बाद भी पूर्व गृह मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल निर्दलीय डटे रहे तो लूणकरणसर में मुकाबला चतुष्कोणीय होगा। शेष तीन पर आमने सामने और तीन पर त्रिकोणीय हालात बन रहे हैं।
दरअसल कोलायत में आमना-सामना होना था लेकिन रालोपा ने सीनियर एससी लीडर और पूर्व विधायक रेवंतराम पंवार को टिकट देकर यहां का सीन ही बदल दिया। एससी के सर्वाधिक बोट यहाँ है। उन्होंने टिकट मिलने के बाद आरोप भी लगाया था कि देवी सिंह भाटी मुझे मेघवाल होने के कारण पसंद नहीं करते। रालीपा का भी कैडर वोट इनके साथ है इसलिए यहाँ मुकाबला त्रिकोणीय बनता जा रहा है। लूणकरणसर में वरिन्द्र बेनीवाल त्रिकोणीय को चतुष्कोणीय बना रहे हैं। भाजपा, कांग्रेस के मुकाबले निर्दलीय प्रभुदयाल सारस्वत भी मुकाबले में आने की कोशिश में हैं। श्रीडूंगरगढ़ में सीपीएम ने पहले ही त्रिकोणीय बनाया हुआ है। नोखा में झंवर के कारण त्रिकोण बन गया। सिर्फ खाजूवाला, बीकानेर पूर्व और पश्चिम में भाजपा-कांग्रेस की सीधी टक्कर है।
जिले की सभी सातों सीटों पर अब साफ होने लगा है।
बीकानेर पूर्व विधानसभा
यहां भाजपा से सिद्धि कुमारी लगातार चौथी बार उम्मीदवार हैं। वे तीन बार से विधायक हैं। 2008 में जब से सीट बनी है। कांग्रेस हर साल यहां प्रयोग ही करती है। लगातार चौथी बार उम्मीदवार बदला गया। अब शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत को उम्मीदवार बनाया है। अब तक यहाँ मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने वाला कोई उम्मीदवार नहीं दिख रहा। हालांकि रालोपा ने मनोज बिश्नोई को टिकट दिया है। सिद्धि की जीत का अंतर हर चुनाव में कम होता जा रहा है।
• 2008 में कांग्रेस के डॉ. तनवीर मालावत 43653 वोटों से हारे • 2013 में कांग्रेस के गोपाल गहलोत को 31677 वोटों से हराया
• 2018 में कन्हैयालाल झंवर 7071 वोटों से हारे।
बीकानेर पश्चिम विधानसभा
यहां 2008 और 2013 में भाजपा के डॉ. गोपाल जोशी ने दिग्गज नेता डॉ. बी. डी. कल्ला को हराया। 2018 में कल्ला ने अपनी दो हार का बदला लेते हुए जोशी को हराया। जोशी अब नहीं हैं तो भाजपा ने उनकी जगह हिंदूवादी नेता जेठानंद व्यास को चुनाव मैदान में उतारा। इस वक्त दोनों के बीच कड़ी टक्कर चल रही है। यहां चुनाव रोचक बना हुआ है। यहां अल्पसंख्यक वर्ग का एक रातोपा का केडीडेट भी है इसीलिए यहां लोगों की नजरें टिकी है।
• 2008 में डॉ. बी. डी. कत्तल 18861 वोटों से डॉ जोशी से हारे
• 2013 में डॉ. कल्ला डॉ. जोशी से 6424 वोटों से परास्त हुए
2018 में डॉ कल्ला ने जोशी को 6190 वोटों से हराया
श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा
श्रीडूंगरगढ़ सीट पर ज्यादातर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होता रहा। सीपीएम तीसरे और चौथे नंबर पर रहती थी लेकिन 2018 में अचानक इतना बड़ा बदलाव हुआ कि भाजपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई। सीपीएम ने पहली बार इस सीट पर कब्जा जमाया। कांग्रेस भी भले ही दूसरे नंबर पर रही हो लेकिन सीपीएम कांग्रेस के बीच भी वोटों का अंतर ज्यादा था। इस बार फिर 2018 वाले ही उम्मीदवार मैदान में हैं। 2008 में भाजपा ने सीट समझौते में इनेलो को दी थी।
• 2008 में कांग्रेस के मंगलाराम गोदारा ने निर्दलीय • किसनाराम नाई को 10618 वोटों से हराया।
• 2013 में भाजपा से किसनाराम नाई लई और उन्होंने
कांग्रेस के मंगलाराम को 16,202 वोटों से परास्त किया • 2018 में सीपीएम के गिरधारी महिया ने कांग्रेस के
मंगलाराम को 23,896 वोटों से हराया। भाजपा के ताराचंद तीसरे नंबर पर थे।
नोखा विधानसभा
नोखा में मुकाबला 2008 से त्रिकोणीय हो रहा है। सिर्फ 2018 में जब कन्हैयालाल झंवर बीकानेर पूर्व में शिफ्ट हुए तो आमने-सामने की टक्कर हुई। 2008 से अब तक यहां कोई विधायक रिपीट नहीं हुआ। 2008 में झंवर जीते तो वे 2013 में हार गए। 2013 में डूडी जीते तो वो 2018 में हार गए। मौजूदा भाजपा के बिहारी लाल बिश्नोई हैं और त्रिकोणीय मुकाबले में हैं। क्योंकि इस बार रामेश्वर डूडी की पत्नी चुनाव मैदान में है तो मुकाबला रोचक है।
• 2008 में कन्हैयालाल झंवर ने कांग्रेस के 2277 से हराया। 2013 में कांग्रेस के रामेश्वर डूडी ने ईवर को 30,794 से हराया। • 2018 में भाजपा के बिहारीलाल ने डूडी को 8663 से हराया।
यहाँ 2008 और 2013 में भाजपा के डॉ. गोपाल जोशी ने दिग्गज नेता डॉ. बी. डी. कल्ला को हराया। 2018 में कल्ला ने अपनी दो हार का बदला लेते हुए जोशी को हराया। जोशी अब नहीं हैं तो भाजपा ने उनकी जगह हिंदूवादी नेता जेठानंद व्यास को चुनाव मैदान में उतारा। इस वक्त दोनों के बीच कड़ी टक्कर चल रही है। यहां चुनाव रोचक बना हुआ है। यहाँ अल्पसंख्यक वर्ग का एक रालोपा का कैंडीडेट भी है इसीलिए यहां लोगों की नजरें टिकी हैं।
• 2008 में डॉ. बी. डी. कत्ता 18861 वोटों से डॉ. जोशी से हारे 2013 में डॉ. कल्ला डॉ. जोशी से 6424 वोटो से परास्त हुए। • • 2018 में डॉ. कल्ला ने जोशी को 6190 वोटों से हराया
खाजूवाला विधानसभा
• 2008 में भाजपा के डॉ. विश्वनाथ मेघवाल ने निर्दलीय गोविंदराम मेघवाल को 867 चोटों से हराया। कांग्रेस तीसरे नंबर पर 2013 में भाजपा के डॉ. विश्वनाथ मेघवाल ने कांग्रेस के गोविदराम मेघवाल को 8357 वोटो से हराया
• 2018 में कांग्रेस के गोविंद राम मेघवाल ने भाजपा के डॉ. विश्वनाथ मेघवाल को 31,089 वोटों से परास्त किया
लूणकरणसर विधानसभा
यहां 2008 में भाजपा ने सीट समझौते में इंडियन नेशनल लोकदल को दी थी तब कांग्रेस के वीरेन्द्र बेनीवाल ने इनोलो के पं. लक्ष्मीनारायण पारीक को हराया था। 2013 में भाजपा ने अपना उम्मीदवार उतारते हुए सुमित गोदारा को टिकट दिया मगर वे अपनी ही पार्टी के बागी मानिक चंद सुराना से हार गए थे। 2018 में सुमित ने बेनीवाल को परास्त कर दिया क्योंकि तब सुराना मैदान से हट चुके थे। अब बेनीवाल बागी हैं। और कांग्रेस के राजेन्द्र मुंड उम्मीदवार हैं। यहां निर्दलीय प्रभुदयाल सारस्वत तीनों के लिए चुनौती बने हैं।
2008 में वीरेन्द्र बेनीवाल ने इनेलो के लक्ष्मीनारायण पारीक को 23.603 वोटों से हराया।
• 2013 में निर्दलीय मानिकचंद सुराना ने भाजपा के हराया। सुमित गोदारा को 4.817 वोटों से हराया। कांग्रेस तीसरे • नंबर पर थी।
2018 में भाजपा के सुमित गोदारा ने कांग्रेस के वीरेन्द्र बेनीवाल को 10.853 वोटों से हराया।
कोलायत विधानसभा
2008 में देवी सिंह भाटी ने भाजपा से जीत दर्ज की। तब कांग्रेस ने हुक्माराम विश्नोई को उम्मीदवार बनाया था। 2013 में कांग्रेस के युवा नेता भंवर सिंह भाटी ने भाजपा के देवी सिंह को सिर्फ 1134 वोटों से हराया 2018 में भंवर सिंह की जीत और बड़ी हो गई क्योंकि देवी सिंह ने चुनाव लड़ने से इनकर करते हुए अपनी पुत्रवधू पूनम कंवर को टिकट दिलाया था। इस बार रालोपा ने पूर्व विधायक रेवंतराम पंवार को उम्मीदवार बनाया तो इस बार मामला त्रिकोणीय हो गया है।
• 2008 में भारतीय जनता पार्टी के देवीसिंह भाटी ने कांग्रेस के रामाराम बिश्नोई को 21,346 वोटों से
2013 में कांग्रेस के भंवर सिंह भाटी ने भाजपा के देवी सिंह भाटी को 1134 वोटों से हराया।
• 2018 में कांग्रेस के ही भंवर सिंह ने भाजपा की पूनम कंवर को हराया।