नापासर टाइम्स। आज धनतेरस का शुभ त्योहार देशभर में मनाया जा रहा है. इसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. यह त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन विभिन्न प्रकार की शुभ वस्तुएं खरीदने की परंपरा है. मान्यता है कि इन शुभ वस्तुओं की खरीदारी बेहद लाभदायक मानी जाती
धनतेरस के दिन विभिन्न प्रकार के वाहन, धातुएं जैसे सोना, चांदी, पीतल आदि की खरीददारी की जाती है. इसके अलावा अन्य वस्तुएं जैसे धनिया, झाड़ू आदि अनेक प्रकार की सुख देने वाली वस्तुओं की खरीदारी अत्यंत शुभ मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन माता महालक्ष्मी की कृपा सहज रूप से प्राप्त होती है.
*धनतेरस 2022 का महत्व*
कहा जाता है कि स्वस्थ ही धन है. अर्थात अच्छा स्वास्थ्य ईश्वर की कृपा से मिलता है और यही सबसे बड़ा धन होता है. धनतेरस या धन्वंतरि त्रयोदशी तिथि को देव और दानवों के द्वारा किया समुद्र मंथन से ही भगवान धन्वंतरी का प्रादुर्भाव हुआ. उनके हाथ में अमृत कलश था. अमृत कलश के माध्यम से सभी का ठीक किया जा सकता है. इसी कारण से इस दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है.
धनत्रयोदशी पर भगवान धन्वंतरि की पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 6:27 से सुबह 8:43 तक रहेगा.
*भगवान धन्वंतरी कौन थे?*
हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक, भगवान धन्वंतरी आयुर्वेद के जनक हैं. इन्हें सभी को उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करने वाला माना जाता है. इसलिए धनत्रयोदशी अथवा धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है और उनसे उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना की जाती है. कहा गया है कि स्वास्थ्य से बढ़कर जीवन में कोई धन नहीं होता. इस दिन धन के कोषाध्यक्ष कुबेर महराज और धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है. इससे सुख और समृद्धि बढ़ती है.
*धनतेरस पूजा मुहूर्त*
धनतेरस की पूजा का विशेष मुहूर्त: सायं काल 7:02 से 8:17 तक
प्रदोष काल: शाम 5:46 से 8:18 तक
स्थिर लग्न (वृषभ) : रात्रि 7:02 से 8:57 तक
*मृत्यु के देवता यमराज की पूजा*
धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है और घर के बाहर यम दीपक जलाया जाता है. इससे इनकी कृपा से व्यक्ति को यम देव के भय से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि इससे किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है.