नापासर टाइम्स। आज (30 सितंबर) से आश्विन मास शुरू हो गया है। ये हिन्दी पंचांग का सातवां महीना है। इस महीने में पितृपक्ष, नवरात्रि और दशहरा जैसे बड़े पर्व रहेंगे। जानिए आश्विन मास में कब कौन से व्रत-पर्व आएंगे।
*ये हैं अश्विन महीने के व्रत पर्व*
शनिवार, 30 सितंबर को पितृपक्ष की प्रतिपदा है। इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करें और दान-पुण्य करें।
सोमवार, 2 अक्टूबर को गणेश चतुर्थी है। सोमवार और चतुर्थी के योग में गणेश जी के साथ ही शिव पूजा जरूर करें। इस तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत किया जाता है।
मंगलवार, 10 अक्टूबर को इंदिरा एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत करें और विशेष पूजा करें। एकादशी व्रत से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है, ऐसी मान्यता है।
शनिवार, 14 अक्टूबर को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या है। शनिवार को ये तिथि होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। शनिश्चरी अमावस्या पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करें और शनिदेव का तेल से अभिषेक करें।
रविवार, 15 अक्टूबर को नवरात्रि का पहला दिन है, इस दिन घटस्थापना होगी और नौ दिवसीय देवी दुर्गा का उत्सव शुरू हो जाएगा। नौ दिनों में देवी दुर्गा के लिए व्रत-उपावस करने की परंपरा है।
बुधवार, 18 अक्टूबर को तुला संक्रांति है। इस दिन सूर्य ग्रह कन्या से तुला राशि में प्रवेश करेगा। तुला संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान और तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है। इसी दिन विनायकी चतुर्थी का व्रत भी किया जाएगा।
रविवार, 22 अक्टूबर को महाष्टमी है। इस दिन देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी मां के भक्त महाअष्टमी का व्रत करते हैं।
सोमवार, 23 अक्टूबर को महानवमी है। इस तिथि पर नवरात्रि खत्म होती है। देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा इस दिन की जाती है।
मंगलवार, 24 अक्टूबर को दशहरा है। इस दिन श्रीराम के नाम का जाप करना चाहिए। मंत्र जप कम से कम 108 बार करें। इस दिन शमी के पेड़ की पूजा भी जाती है।
बुधवार, 25 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा की जाती है। भगवान के लिए व्रत-उपवास और दान-पुण्य किया जाता है।
शनिवार, 28 अक्टूबर को आश्विन महीने का आखिरी दिन यानी शरद पूर्णिमा है। इसके बाद 29 अक्टूबर से कार्तिक माह शुरू हो जाएगा। शरद पूर्णिमा पर चंद्र उदय के बाद खुली जगह पर खीर बनाकर खाने की परंपरा है।