नापासर टाइम्स। जनवरी 2024 में रामभक्तों का कई दशकों का इंतजार खत्म हो जाएगा। अयोध्या में रामलला का मंदिर बनकर जनवरी में तैयार हो रहा है। इस ऐतिहासिक उत्सव में राजस्थान की भी भागीदारी होगी। मंदिर में होने वाली पहली आरती और महायज्ञ में जो घी इस्तेमाल होगा, वो जोधपुर से भेजा जाएगा। इसी घी से मंदिर की अखंड ज्योत को भी प्रज्जवलित किया जाएगा।
इसके लिए 6 क्विंटल यानी 600 किलो घी अयोध्या भेजा जाएगा। खास बात ये है कि घी ट्रेन, बस या कार में नहीं बल्कि 108 रथ में भेजा जाएगा, जिनमें 216 बैल होंगे। ये रथ 27 नवंबर को घी लेकर जोधपुर से अयोध्या के लिए रवाना होंगे।
खास बात ये भी है कि जिन गायों के घी से राम मंदिर की पहली आरती होगी, वो आज जिंदा ही नहीं होतीं, अगर एक संत ने उन्हें बचाया नहीं होता। उन्हीं संत का 20 साल पुराना संकल्प है, जिसकी बदौलत राजस्थान इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने जा रहा है।
एक संत का 20 साल पुराना संकल्प धपुर के बाड़ के पास जयपुर रोड पर श्रीश्री महर्षि संदीपनी राम धर्म गौशाला है। इस गौशाला का संचालन महर्षि संदीपनी महाराज की ओर से किया जा रहा है। महर्षि संदीपनी महाराज ने बताया कि उन्होंने 20 साल पहले संकल्प लिया था कि अयोध्या में जब भी राम मंदिर बनेगा, उसके लिए शुद्ध देशी गाय का घी वो लेकर जाएंगे।
इसी बीच साल 2014 में उन्होंने गायों से भरे एक ट्रक को रुकवाया, जो जोधपुर से गौकशी के लिए ले जाया जा रहा था। ट्रक में करीब 60 गायें थीं।
महाराज ने इन गायों को छुड़वाया और आस-पास गौशाला में ले गए। सभी ने इन गायों को रखने से मना कर दिया। अंत में उन्होंने निर्णय लिया कि वे खुद गौशाला शुरू करेंगे और इन गायों को पालेंगे।
पहले लोगों ने मजाक उड़ाया, फिर दिया सहयोग इसी दौरान राम मंदिर बनने को लेकर उम्मीद बंधने लगी तो उन्होंने उन 60 गायों का घी एकत्रित करना शुरू कर दिया। महाराज ने बताया कि ये संकल्प भी था कि जितना भी घी होगा, उसे वे बैल पर ले जाएंगे।
महाराज ने आस-पास के लोगों को जब अपने प्रण के बारे में बताया तो लोगों ने कई सवाल किए और मजाक उड़ाया। यात्रा कैसे पूरी होगी? इतना घी कहां से लाओगे?
महाराज ने लोगों के सवालों से विचलित हुए बिना घी एकत्रित करना जारी रखा। 2016 में लोगों को जब महाराज के संकल्प की गंभीरता का अहसास हुआ तो वे गौशाला आए। उन्होंने देखा कि महाराज ने घी जुटाना शुरू कर दिया है तो वे लोग भी सहयोग करने लगे, जो पहले मजाक उड़ाते थे।
पहले मटकों में रखा, फिर स्टील की टंकियां, सुरक्षित स्टोरेज के लिए जड़ी-बूटियां
महाराज संदीपनी ने बताया कि शुरुआत में वे मटकी में घी एकत्रित कर रहे थे। गर्मी की वजह से घी पिघलकर बाहर आने लगा और मटकी में भी दरारें आने लगी।
एक-दो बार तो घी भी खराब हो गया।
इस पर किसी दूसरे संत से पता चला कि पांच अलग-अलग जड़ी बूटियों के रस से घी को कई सालों तक सुरक्षित स्टोरेज रखा जा सकता है। ऐसे में वे हरिद्वार गए और वहां से ब्राह्मी व पान की पत्तियों समेत अन्य जड़ी-बूटियां लेकर आए। इनका रस तैयार कर घी में मिलाया।
इसके बाद इस घी को स्टील की टंकियों में डालर एसी के जरिए 16 डिग्री तापमान में रखा। सुरक्षित स्टोरेज का तीजा है कि 9 साल बाद भी ये घी पहले जैसा ही है। यहां अभी करीब 9 स्टील की टंकियों में इन्हें स्टोरेज कर रखा गया है।