Bhadrapad Shukla Paksha 2023: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में आएंगे गणेश चतुर्थी सहित ये व्रत-त्योहार, जानें लिस्ट

नापासर टाइम्स। आज से भाद्रपद माह का शुक्ल पक्ष शुरू हो गया है. भाद्रपद का महीना भगवान कृष्ण और गणपति जी को समर्पित है. इस माह के कृष्ण पक्ष में जहां जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल की विशेष पूजा होती है तो वहीं शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से चतुर्दशी तिथि तक गणपति उत्सव मनाया जाता है.

बप्पा की स्थापना कर 10 दिन गणेश जी का पूजन करते हैं. भाद्रपद माह की शुरुआत 31 अगस्त 2023 को हुई थी अब इसका समापन 29 सितंबर 2023 पर होगा. आइए जानते हैं भाद्रपद शुक्ल पक्ष के व्रत-त्योहार

*भाद्रपद माह 2023 शुक्ल पक्ष के व्रत-त्योहार*
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*दिनांक -दिन-व्रत-त्योहार*

17 सितंबर 2023 रविवार विश्वकर्मा जयंती, कन्या संक्रांति
18 सितंबर 2023 सोमवार हरितालिका तीज
19 सितंबर 2023 मंगलवार गणेश चतुर्थी, गणेश उत्सव शुरू
20 सितंबर 2023 बुधवार ऋषि पंचमी, स्कंद षष्ठी
22 सितंबर 2023 शुक्रवार संतान सप्तमी, महालक्ष्मी व्रत शुरू
23 सितंबर 2023 शनिवार राधा अष्टमी, गौरी विसर्जन
25 सितंबर 2023 सोमवार परिवर्तिनी एकादशी
26 सितंबर 2023 मंगलवार वामन जयंती, भुवनेश्वरी जयंती, पंचक शुरू
27 सितंबर 2023 बुधवार प्रदोष व्रत
28 सितंबर 2023 गुरुवार अनंत चतुर्दशी, गणेश विसर्जन
29 सितंबर 2023 शुक्रवार भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, पितृपक्ष शुरू

*हरतालिका तीज महत्व*

हरतालिका तीज सुहागिनों का मुख्य पर्व है. इस दिन स्त्रियां 24 घंटे निर्जला व्रत कर भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करती हैं. मान्यता है इस दिन व्रत-पूजन करने से पति की लंबी आयु, संतान की खुशहाली और अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. इसी दिन कठोर तपस्या के बाद देवी पार्वती ने शिव जी को पति के रूप में पा लिया था.

*गणेश चतुर्थी में घर-घर विराजेंगे बप्पा*

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी गणेश चतुर्थी पर गौरी पुत्र गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है. ये उत्सव 10 दिन तक चलता है. गणेश चतुर्थी के दिन घर-घर में गणपति की स्थापना की जाती है. रोज पूजा, पाठ, भोग लगाया जाता है. कहते हैं जहां गणपति का वास होता है वहां सारे दुख, दरिद्रता दूर हो जाती है.

*पूर्वजों की शांति के लिए पितृक्ष का महत्व*

पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से हो जाती है लेकिन इस दिन श्राद्ध नहीं किया जाता. पितृपक्ष के 15 दिन पूर्वजों को समर्पित है. इस दौराना जो लोग पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर उनका श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण करते हैं उनके परिवार में कभी कोई संकट नहीं आता. पितर बहुत प्रसन्न होते हैं.