Bhaum Pradosh Vrat 2023: साल का पहला भौम प्रदोष व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

नापासर टाइम्स। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत जब मंगलवार के दिन होता है तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं. भौम प्रदोष के दिन शिवजी और हनुमान जी की पूजा का विधान है. ज्योतिषविद कहते हैं कि भौम प्रदोष के दिन शिवजी के साथ हनुमान जी की उपासना करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. आज साल का पहला भौम प्रदोष व्रत है.

*भौम प्रदोष व्रत का मुहूर्त*

भौम प्रदोष व्रत पर आज शाम 06 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 49 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है. आप सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक पूजा कर सकते हैं.

*भौम प्रदोष की पूजन विधि*

भौम प्रदोष पर संध्या काल में स्नान करने के बाद संध्या-वंदना करें. भगवान शिव की पूजा करें. घर के ईशान कोण में शिवजी की स्थापना करें. शिवजी को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें. कुश के आसन पर बैठकर शिवजी के मंत्रों का जाप करें. इस दिन ‘ओम नम: शिवाय’ या महामृत्युजंय मंत्र का जाप सर्वोत्तम होगा. इसके बाद भगवान से अपनी समस्याओं के अंत होने की प्रार्थना करें. शिव पूजन के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें.

*मंगल दोष से मुक्ति*

भौम प्रदोष के दिन शाम को हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं. उन्हें हलवा पूरी का भोग लगाएं. सुन्दरकाण्ड का पाठ करें. मंगल दोष की समाप्ति की प्रार्थना करें. हलवा पूरी का प्रसाद निर्धनों में बांटें. मंगल दोष की पीड़ा से छुटकारा मिलेगा.

*रोगों से मुक्ति*

लाल वस्त्र धारण करके हनुमान जी की उपासना करें. हनुमान जी को लाल फूलों की माला चढ़ाएं. दीपक जलाएं और गुड़ का भोग लगाएं. इसके बाद संकटमोचन हनुमानाष्टक का 11 बार पाठ करें. गुड़ का भोग लगाकर बाटें प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.

*कर्ज से मुक्ति*

कर्ज से मुक्ति का प्रयोग भौम प्रदोष की रात्रि को करें. रात के समय हनुमान जी के सामने घी का दीपक जलाएं. इस दीपक में नौ बातियां लगाएं. इसके बाद हनुमान जी को उतने लड्डू अर्पित करें, जितनी आपकी उम्र है. फिर “हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट” का 11 माला जाप करें.

*सावधानियां*

भौम प्रदोष व्रत पर फल और जल पर ही उपवास रखें. अन्न खाने से बचें. शिवजी के साथ पार्वती जी का भी पूजन जरूर करें. शिवजी को केतकी, केवड़ा अर्पित न करें. अगर उपवास नहीं रख रहे, तब भी सात्विक भोजन ही ग्रहण करें.