सितंबर में 40-42 डिग्री पारा झुलसा रहा फसलें: नहर क्षेत्र में 60, बारानी में 80% फसल बर्बाद; कृषि विभाग 30-50% ही मान रहा

नापासर टाइम्स। सितंबर महीने में सामान्य से 5 डिग्री अधिक तापमान । डेढ़ माह से बारिश का इंतजार और बार-बार होती बिजली कटौती ने इस बार किसानों की कमर तोड़ दी है। जून-जुलाई के पहले सप्ताह तक हुई बारिश को देख किसानों से उत्साह से खेतों में फसलों की बिजाई की।

मानसून की बेरूखी के चलते बारानी क्षेत्रों में बिजान की गई मोठ, बाजरी और ग्वार की 75 से 80 प्रतिशत फसलें जल चुकी है।

सिंचित क्षेत्र में खड़ी मंगफली की फसल को भी 60 प्रतिशत तक नुकसान हो गया है। बारिश से कमी ऊपर से इन दिनों सामान्य से पांच डिग्री ऊपर चल रहे तापमान के कारण हर दूसरे दिन फसल को सिंचाई की जरूरत होती है लेकिन बिजली की कमी के चलते सिंचाई नहीं हो पा रही है क्योंकि सितंबर में मई-जून जैसी तेज गर्मी और प्रदेश में बढ़े 4500 कृषि कनेक्शन बढ़ने के कारण बिजली की डिमांड 60 से 65 प्रतिशत बढ़ गई है।

अब भी बारिश हुई तो 15 से 20 फीसदी हो सकता है ग्वार : हालात यह हो गए हैं कि अगर अब बारिश भी होती है तो ग्वार की फसल 15 से 20 फीसदी तक बच सकती है। बारिश के अभाव में मोठ, बाजरा और मूंग की फसलें को चौपट होने के कगार पर पहुंच चुकी है। अब अगर 10 दिन में बारिश होती है तो ग्वार की फसल को कुछ फायद मिल सकता है। इसके अलावा नरमा, कपास और मूंगफली की फसल को जीवनदान मिल जाएगा। नहरी क्षेत्रों में खड़ी फसलों को इन दिनों सिंचाई की जरूरत है। अगर पानी और पर्याप्त बिजली मिले तो उन फसलों को बचाया जा सकता है।

सितंबर में बारिश नहीं, डगमगाया किसानों का आत्मविश्वास

पिछले डेढ़ महीने से बारिश का इंतजार कर रहे बारानी क्षेत्र के किसानों 75 से 80 प्रतिशत तक फसलें जल गई में उत्साह से बिजाई की। वहीं सिंचित एरिया में खड़ी मूंगफली में भी 60 प्रतिशत तक नुकसान हो चुका है।जून-जुलाई में हुई झमाझम बारिश से बारानी खेतों किसानों ने जैसे-तैसे अगस्त का महीना निकाला लेकिन सितंबर के पहले पखवाडे में उनका आत्मविश्सास टूट गया।

इस बार 6 लाख 60 हजार हेक्टेयर में ग्वार, साढ़े तीन लाख हेक्टेयर में मोठ और एक लाख हेक्टेयर में बाजरे का बिजान हुआ। वहीं मूंगफली का बिजान एरिया दो लाख तीस हजार हेक्टेयर है। 67 हजार हेक्टेयर में कपास और 41 हजार हेक्टेयर में मूंग की बुआई हुई है। कृषि विभाग के डीडी कैलाशसिंह ने बताया कि बारिश नहीं होने से ग्वार, मोठ और बाजरे को 50 प्रतिशत नुकसान होने की संभावना है।