3 त्योहार और एक खगोलीय घटना:13 को लोहड़ी, 14 को सूर्य का राशि परिवर्तन, 15 जनवरी को रहेगी मकर संक्रांति और पोंगल

napasartimes.इस हफ्ते के आखिरी दिनों में सूर्य का राशि परिवर्तन होगा। सूर्यदेव के धनु से मकर राशि में आने पर उत्तरायण यानी मकर संक्रांति पर्व मनेगा। दक्षिण भारत में इस त्योहार को पोंगल के रूप में मनाते हैं। वहीं पंजाब में इसे लोहड़ी, खिचड़ी पर्व और पतंगोत्सव कहा जाता है। मध्यभारत में इसे संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति को उत्तरायण, माघी, खिचड़ी आदि नाम से भी जाना जाता है। मलयाली समाज के लोग इसी दिन मकरविल्लकू पर भगवान अय्यप्पा की पूजा करेंगे।

मकर संक्रांति नई फसलों के आने की खुशी का भी पर्व है, इसी दिन से खरमास भी खत्म होता है। जिससे एक महीने तक रूके हुए मांगलिक काम फिर शुरू हो जाते हैं। वहीं, तिलोड़ी अब लोहड़ी हो गया है। पंजाब के कई क्षेत्रों में इसे लोही या लोई कहते हैं। दक्षिण भारत में धान की फसल समेटने के बाद खुशी जाहिर करने के लिए पोंगल मनाते हैं।

*लोहड़ी (शनिवार, 13 जनवरी)*
लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहते थे। पंजाब के कई इलाकों मे इसे लोही या लोई भी कहा जाता है। लोहड़ी, पौष महीने की आखरी रात को मनाया जाता है। जो कि इस बार 13 जनवरी को है। इस दिन लोग लकड़ी जलाकर आग के चारों ओर चक्कर काटते हुए नाचते-गाते हैं और आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति देते हैं।

कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में ये पर्व मनाते हैं। ये भी मान्यता है कि सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को सौदागरों से बचाकर दुल्ला भट्टी ने हिंदू लड़कों से उनकी शा‍दी करवा दी थी। पौराणिक मान्यता अनुसार सती के त्याग के रूप में भी यह त्योहार मनाया जाता है।

*मकर संक्रांति (रविवार, 15 जनवरी)*
इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मकर संक्रांति कहते हैं। ये पर्व फसलों के आगमन की खुशी के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन गुड़ और तिल से बनी मिठाइयां खाते हैं और दान करते हैं। इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है। इसी दिन खरमास खत्म होने तथा शुभ माह प्रारंभ होने के कारण लोग दान-पुण्य से अच्छी शुरुआत करते हैं। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि उत्तरायण के 6 महीनों तक पृथ्वी प्रकाश मय रहती है। इस प्रकाश में शरीर त्याग करने से पुनर्जन्म नहीं होता। ऐसे लोग ब्रह्म को प्राप्त होते हैं। इसलिए भीष्म पितामह ने शरीर तब तक नहीं छोड़ा, जब तक सूर्य उत्तरायण नहीं हो गए।

*पोंगल (रविवार, 15 जनवरी)*
पोंगल यानी खिचड़ी का त्योहार। जो सूर्य के उत्तरायण होने के पुण्य काल में मनाते हैं। ये पर्व दक्षिण भारत में धान की फसल समेटने के बाद लोग खुशी प्रकट करने के लिए मनाते हैं और भगवान से अगली फसल के अच्छे होने की प्रार्थना करते हैं। पोंगल 4 दिनों तक चलता है।

पहले दिन भोगी, दूसरे दिन सूर्य, तीसरे दिन मट्टू और चौथे दिन कन्या पोंगल मनाते हैं। इस त्योहार पर गाय के दूध के उफान को बहुत महत्व दिया जाता है। इस दिन खीर बनाते हैं। मिठाई और मसालेदार पोंगल डिश बनाते हैं। चावल, दूध, घी, शकर से भोजन बनाकर सूर्यदेव को भोग लगाते हैं.