नापासर टाइम्स। शनिवार, 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा और मकर संक्रांति मनाई जाएगी। ये उत्सव सूर्य पूजा के लिए प्रसिद्ध है। शनिवार को मकर संक्रांति होने से इस दिन सूर्य के साथ ही शनि पूजा करने का भी शुभ मुहूर्त बन रहा है। मकर संक्रांति पर तिल का दान किया जाता है। तिल के दान से कुंडली के शनि दोष भी दूर होते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक मकर संक्रांति पर खाने में तिल का सेवन करना चाहिए। ये पर्व पितरों से संबंधित शुभ कर्मों के लिए भी महत्वपूर्ण है। 14 जनवरी को श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि कर्म भी जरूर करें। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से खरमास खत्म होगा और अब सभी तरह के मांगलिक कर्मों के शुभ मुहूर्त मिलने लगेंगे।
*सूर्य होगा उत्तरायण*
मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होने लगता है। उत्तरायण होना चाहिए सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक उत्तर दिशा की ओर से आने लगेगा। उत्तर देवताओं की दिशा मानी गई है। इस घटना को देवताओं के दिन की शुरुआत भी माना जाता है।
*इस पर्व को क्यों कहते हैं मकर संक्रांति*
इस पर्व का संबंध सूर्य से है और सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहा जाता है। 14 जनवरी को सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करेगा, इस वजह से इस पर्व को मकर संक्रांति कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की और तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है।
*मकर संक्रांति पर कर सकते हैं ये शुभ काम*
मकर संक्रांति पर तिल से जुड़े शुभ काम करना चाहिए। तिल का उबटन लगाकर स्नान करें। भगवान को भोग लगाएं। तिल से तर्पण करें। हवन करें। दान करें। खाने में उपयोग करें।
इस दिन गर्म कपड़ों का, अनाज, धन और भोजन का दान करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री चढ़ाएं।
शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। जल में थोड़े से काले तिल जरूर डालें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
शनिदेव के लिए तेल का दान करें। ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करें।